Navratri 2023 kanya pooja: नवरात्रि में क्यों की जाती है कन्या पूजा, क्या है इसके पीछे की कहानी

हिन्दू धर्म में महाअष्टमी और महानवमी दोनों का ही काफी महत्व होता है।इन दोनों दिनों को कन्या पूजन किया जाता है।मान्यता के अनुसार इस दिन 10 वर्ष से कम उम्र की नौ कन्याओं को घर पर आमंत्रित करके उन्हें भोजन कराया जाता है।साथ ही इस दिन मां के नौ रुपों की पूजा सच्चे मन से की जाती है।

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हिन्दू धर्म में महाअष्टमी और महानवमी दोनों का ही काफी महत्व होता है।इन दोनों दिनों को कन्या पूजन किया जाता है।मान्यता के अनुसार इस दिन 10 वर्ष से कम उम्र की नौ कन्याओं को घर पर आमंत्रित करके उन्हें भोजन कराया जाता है।साथ ही इस दिन मां के नौ रुपों की पूजा सच्चे मन से की जाती है।

कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन कन्या और बटुक की पूजा करते हैं ऐसे व्यक्तियों से माता प्रसन्न हो जाती हैं और उनके जीवन में धन और सुख-शांति का वास होने लगता है।कई लोग ऐसे भी होते हैं जो कन्या पूजन तो कर देते हैं, लेकिन उन्हें कन्याओं की उम्र नहीं पता होती है।

आज हम आपको बतायेंगे की किस उम्र की कन्याओं का कन्या पूजन करना चाहिए।इस दिन कन्याओं की उम्र का काफी विशेष ध्यान रखना चाहिए।आइए जानते है कि किस उम्र की कन्याओं को कन्या पूजन में शामिल करना चाहिए?

दो वर्ष की कन्या

शास्त्रों में माना जाता है कि आप दो वर्ष की छोटी कन्या का भी पूजन कर सकते हैं।कई लोग सोच नहीं पाते हैं कि किस उम्र की कन्या का पूजन करना चाहिए। जो भी लोग 2 वर्ष की छोटी कन्याका पूजन करते हैं मान्यता है कि उनके जीवन में दु:ख, दरिद्रता और कई प्रकार की समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।इसके साथ ही घर में सुख- समृद्धि का वास होता है।

तीन वर्ष की कन्या का पूजन

जो भी व्यक्ति अष्टमी और नवमी के दिन 3 वर्ष की कन्याओं का पूजन करते हैं। कहा जाता है कि ऐसे व्यक्तियों के घर में शांति आती है साथ ही धर्म, अर्थ काम मोक्ष की प्राप्ति होती है।इतना ही नहीं हिंदू शास्त्र में 3 साल की छोटी कन्या को त्रिमूर्ति के नाम से जाना जाता है।

चार वर्ष की कन्या का पूजन

हिंदू शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि 4 वर्ष की कन्या का पूजन करने से व्यक्ति को अनेक प्रकार के लाभ मिलते हैं। ऐसा करने से उस व्यक्ति को बुद्धि, विद्या और राज सुख की प्राप्ति होती है।इसके साथ ही 4 वर्ष की कन्याओं को देवी कल्याणी का स्वरूप भी माना जाता है।

पांच वर्ष की कन्या का पूजन

शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि नवरात्र महापर्व में 5 वर्ष की कन्या का पूजन करने से जिस व्यक्ति को गंभीर रोग होते हैं उसे उन रोगों से मुक्ति मिलती है।साथ ही सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।आपको दें कि 5 वर्ष की कन्या को रोहिणी के रूप में जाना जाता है।

छह वर्ष की कन्या का पूजन

मान्यता है कि जो महिला नवरात्रि की अष्टमी और नवमी के दिन छह वर्ष की कन्या का पूजन करती हैं ऐसी महिलाओं के जीवन में अनेक प्रकार के लाभ मिलते हैं। इसके साथ ही इस उम्र की कन्याओं का पूजन करने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। इस उम्र की कन्याओं को कालिक के नाम से जाना जाता है।

आठ वर्ष की कन्या का पूजन

जिन लोगों का मामला किसी कोर्ट कचहरी में कई सालों से चल रहा है ऐसे लोग नवरात्र की नवमी पर आठ वर्ष की कन्या का पूजन करें।यह उपाय करने से इन सभी परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है।मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि आठ वर्ष की कन्या को देवी शांभवी का स्वरुप माना गया है।

दस वर्ष की कन्या का पूजन

जो व्यक्ति दस वर्ष की कन्या का पूजन करते हैं। मान्यता है कि ऐसे व्यक्तियों के सभी बिगड़े काम बनते हैं। साथ ही जो काम पूरे होते हुए बार-बार किसी न किसी कारण से रुक जाते हैं। वह पूरे होने लगते हैं।ऐसी कन्याओं को माता सुभद्रा का स्वरुप माना जाता है।

Disclaimer: यहां पर मौजूद जानकारी के लिए Thejbt.com किसी भी प्रकार की मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को प्रयोग में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। First Updated : Thursday, 30 March 2023