ॐलोक आश्रम: मृत्यु के डर से कैसे बचें? भाग-1
हमारे जीवन में हमारा सबसे बड़ा डर होता है इस जीवन का समाप्त होना, मृत्यु होना। हर व्यक्ति हर जीवित प्राणी अपनी मृत्यु से डरता है और वही अर्जुन अपनी मृत्यु से डर रहा है या फिर अपने प्रिय पात्रों की मृत्यु से डर रहा है और युद्ध से पीछे भाग रहा है।
हमारे जीवन में हमारा सबसे बड़ा डर होता है इस जीवन का समाप्त होना, मृत्यु होना। हर व्यक्ति हर जीवित प्राणी अपनी मृत्यु से डरता है और वही अर्जुन अपनी मृत्यु से डर रहा है या फिर अपने प्रिय पात्रों की मृत्यु से डर रहा है और युद्ध से पीछे भाग रहा है। मृत्यु के डर को कैसे कंट्रोल करें, कैसे उससे बचें। अगर हमने मृत्यु के डर के खत्म कर दिया तो दुनिया में कोई ऐसा डर नहीं बचेगा जिससे की हम डरेंगे। जो हमारी सनातन परंपरा है और जो भगवान कृष्ण श्रीमदभगवद गीता में कह रहे हैं कि ये जो दुनिया है यह वर्चुअल दुनिया है। वास्तविक केवल परमब्रह्म है। जिसका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता है क्योंकि हमारी बुद्धि की उतनी गति नहीं है। शब्द किसी चीज को सीमित कर देते हैं इसलिए परमब्रह्म को नेति नेति कहा है उपनिषदों में।
हम इसको दूसरे तरीके से समझने की कोशिश करते हैं। आपने देखा होगा कि अभी बहुत सारे गेम्स हैं इंटरनेट पर। एक शख्स वर्चुअल फॉर्म में जाता है वो गन लेता है युद्ध करता है। लोगों को मारता भी है और खुद भी मारा जाता है। लेकिन उस वर्चुअल वर्ल्ड में उस करेक्टर के मारे जाने से बाहर जो आदमी बैठा हुआ है वो नहीं मरता और न ही उसका कोई आघात लगता है। उसको कुछ भी नहीं होता। दुख ही होता है अगर वो जीत जाता है और वो अपने करेक्टर में घुसता है उस करेक्टर में घुसकर दुश्मनों को मारता है कई सारे लोगों को मारता है।
नंबर वन आ जाता है तो बहुत खुश हो जाता है अगर वह मर जाता है तो वो दुखी हो जाता है। वह जितना उस करेक्टर में घुस जाए। हो सकता है कभी कि कोई मेटावर्स में कोई करेक्टर के अंदर इतना घुस जाए कि उस करेक्टर के मरने पर उसे खुद हार्ट अटैक आ जाए या दुखी होकर मर जाए ये भी हो सकता है। वर्चुअल रियलिटी और एक्चुअल रियलिटी में अंतर है। वर्चुअल रियलिटी में कुछ भी हो जाए एक्चुअल रियलिटी को कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए और फर्क पड़ता भी नहीं है।
भगवान कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं कि हमारे अंदर जो आत्मा है वो ईश्वर ही है अपने आप में वो अविनाशी है उसका कभी विनाश नहीं हो सकता। उसका विनाश क्यों नहीं होता क्योंकि उसकी उत्पति नहीं होती। जिसकी उत्पति है उसका विनाश है जिसका आदि है उसका अंत है जिसका प्रारंभ हुआ है कभी न कभी उसका अंत होगा ही। जिसकी उत्पति है उसका कभी न कभी विनाश होगा। यही कारण है कि इस्लाम और क्रिश्चियनिटी कहती है कि ईश्वर ने आत्मा का सृजन किया है हर जीवों के लिए तो जिसकी उत्पति है कभी न कभी उसका विनाश भी हो जाएगा।