ॐ लोक आश्रम: लोग आत्महत्या जैसा कदम क्यों उठाते हैं? भाग-4
भगवान कृष्ण कहते हैं कि सभी धर्मों का सभी कर्तव्यों का सभी चीजों का परित्याग करके मेरी शरण में आओ। मैं तुम्हें सारे पापों से सारे दुखों से मुक्त कर दूंगा। कोई शोक मत करो कोई चिंता मत करो।
अपने सारे कर्मों को अगर हमने प्रभु को समर्पित कर दिया तो आत्महत्या तो बहुत दूर की बात है हमारे अंदर कभी कोई नकारात्मक विचार ही नहीं आ सकता और हमारे जीवन में इतने सकारात्मक परिवर्तन होंगे कि ऐसा लगेगा कि जिस रास्ते में हम चलने जा रहे हैं प्रभु खुद आकर उस रास्ते को बनाते जा रहे हैं।
भगवान कृष्ण कहते हैं कि सभी धर्मों का सभी कर्तव्यों का सभी चीजों का परित्याग करके मेरी शरण में आओ। मैं तुम्हें सारे पापों से सारे दुखों से मुक्त कर दूंगा। कोई शोक मत करो कोई चिंता मत करो। आप प्रभु के राह पर चल दिए अपने समस्त कर्मों को आपने प्रभु पर न्यौछावर कर दिया, आप निमित्त मात्र बनकर जीते रहे आप प्रभु की मस्ती में जीते रहे तो उस मस्ती की खुमारी ऐसी है कि उसके बाहर न तो कोई शोक है न तो कोई चिंता है न तो कोई दुख है, आत्महत्या तो बहुत दूर की बात है। सुख के अलावा आपके पास कुछ होगा ही नहीं।
जो व्यक्ति आत्महत्या ही कर रहा है तो वह बाकी डरों से मुक्त हो जाता है क्योंकि मृत्यु का डर सबसे बड़ा डर है। अगर मृत्यु का डर ही खत्म हो गया तो बाकी सारे डर खत्म हो जाते हैं। अगर आपने आत्महत्या कर ली तो आपके सॉफ्टवेयर यानी आपके सूक्ष्म शरीर में डिफेक्ट आ गया। क्योंकि उस सॉफ्टवेयर के विरुद्ध ही आपने काम कर लिया। जो भी आपका सूक्ष्म शरीर है वो आपके कर्मों के संस्कारों से लिप्त है और उसी के हिसाब से आपको अगला जन्म मिलता है। उसी के हिसाब से आपके विचार बनते हैं।
उस सॉफ्टवेयर की एक बेसिक क्वालिटी है अपने जीवन को पूरा करना और उस जीवन को आगे बढ़ाना और इसी के विरुद्ध काम कर लिया तो बड़ा दुखदायी होता है और ऐसे दुखों को व्यक्ति अनेक जन्मों तक लेकर पैदा होता है। वह जल्दी से उससे मुक्त नहीं हो सकता। अगर किसी व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली तो यह मान ले कि उसने अपने सूक्षम शरीर में ऐसा परिवर्तन कर लिया है कि जहां भी वो अगला जन्म लेगा वह अवसाद से ग्रस्त रहेगा और अगले जन्म में भी उसके आत्महत्या करने की संभावना बढ़ जाएगी। नकारात्मक विचार जल्दी उसकी तरफ आकृष्ट हो जाएंगे।