हिंदू पंचाग के अनुसार आज यानी 4 मार्च दिन शनिवार को शनि प्रदोष व्रत है। आपको बता दें की यह प्रदोष व्रत हिंदी महिने के फाल्गुन माह का दूसरा प्रदोष व्रत है। इस दिन मताएं उत्तम संतान के लिए प्रदोष व्रत का व्रत रखती है, और संध्या के समय भगवान शिव की पूजा अर्चना पुरे विधि-विधान से किया जाता है।
शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से गुणवाण और अच्छे संतान की प्राप्ती होती है। आज यानी 4 मार्च को शानी प्रदोष के दिन रवि योग और शोभन योग बन रहा है। आज आप चाहे तो रुद्राभिषेक कराने से विशेष लाभ मिलेगी। तो आइए जानते है कैसे भगवान शिव को प्रसन्न करके सुख, संपत्ति, आरोग्य, और अच्छे संतान की कामना कर सकते हैं।
शनि प्रदोष व्रत के शूभ मुहूर्त फाल्गुन शुक्ल त्रयोदशी तिथि का शुभ आरंभ 4 मार्च को शनिवार शुबह 11 बजकर 43 मिनट तक है। जो की 5 मार्च को दिन रविवार, दोपहर 2 बजकर 7 मिनट पे समाप्त हो जाएगा। पूजा का शूभ मुहूर्त 4 मार्च यानी शनिवार शाम 5 बजकर 23 मिनट से रात 8 बजकर 50 मिनट तक शिव प्रदोष वर्त का शूभ मुहूर्त रहेगा।
प्रदोष व्रत में रवि योग का भी बन रहा है जिसका शूभ आरंभ शनिवार से शाम 6 बजकर 41 मिनट से रविवार सुबह 6 बजकर 37 मिनट तक रहेगी।वही शोभन योग आज यानी शनिवार प्राताकाल से लेकर शाम 07बजकर 37 मिनट तक रहेगा।
4 शनि प्रदोष के दिन प्राता काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहन लें उसके बाद हाथ में जल लेकर शनि प्रदोष व्रत एवं भगवान शिव पूजा का संकल्प करें। व्रत के दौरान दिनभर के खाने के दौरान केवल फलाहार करें। और शाम के समय में विशेष तरह से पूजा करें।
प्रदोष व्रत के दिन घर पर या पास के कोई शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर अभिषेक करें उसके बाद शिनलिंग पर बेलपत्र, अक्षत, चंदन, फूल, शमी के पत्ते, और बेर, मिष्ठान आदि चढ़ाए। शिव लिंग के पूजा करने के दौरान शिव जी के मंत्र ओम नम: शिवाय या फिर श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिए।
शिवलिंग की पूजा करने के बाद वहा पर विराजमान माता पार्वती, श्री गणेश जी, और भगवान कार्तिकेय सहित नंदी का भी पूजन अवश्य करें। उसके बाद भगवान शिव की आरती, घी के दीपक या कपूर से करें और आरती गाए।
पूजा अर्चना करने के बाद शिवजी से अपने भूल चूक के लिए माफी मांगे। शिवलिंग की पूजा करने के बाद अपने मनोकामना को पूरा करने के लिए शिवजी से प्रथाना करें, पूजा से निवृत होकर गरीबों में अपने सामर्थय अनुसार दान दें, प्रदेष व्रत के दौरान रात्री को जागरण करें फिर अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करके शनि प्रदोश व्रत का समापन करें। First Updated : Saturday, 04 March 2023