ऐसे थे शिरडी के साईं बाबा...
गुरूवार को श्री साईं बाबा का दिन मनाया जाता है, इसी दिन पूरी श्रद्धा से इनकी पूजा की जाती है साथ ही भजन कीर्तन और साईं बाबा के लिए व्रत भी रखे जाते हैं। साईं बाबा ने अपना पूरा जीवन फकीरों की तरह जनकल्याण में निकाल दिया । इतना ही नहीं आज भी साईं के भक्तों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है तो अपनी हर समस्याओं के समाधान के लिए साईं दरबार में जाते हैं।
गुरूवार को शिरडी के साईंबाबा का दिन मनाया जाता है, इसी दिन पूरी श्रद्धा से इनकी पूजा की जाती है। साथ ही भजन कीर्तन और साईं बाबा के लिए उपवास भी रखे जाते हैं। साईं बाबा ने अपना पूरा जीवन फकीरों की तरह जनकल्याण में निकाल दिया । इतना ही नहीं आज भी जब साईं के भक्तों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है तो अपनी हर समस्याओं के समाधान के लिए साईं दरबार में जाते हैं।
साईं बाबा की पहली चमत्कारी कथा
मुंबई में एक साईं बाबा की भक्त रहती थीं जिनका नाम महाजनी था वह शिरडी गए थे। उनकी इच्छा साईं बाबा के पास कुछ दिन रुकने की थी ।दर्शन करने बाद बाबा ने पूछा कि महाजनी तुम कब जाओगे? यह सुनकर महाजनी निराश होकर बोले जब आप कहें बाबा तो साईं बाबा ने कहा, तुम कल ही यहां से चले जाओ। यह सुनकर महाजनी निराश होकर वहां से तुरंत चले गए। ऑफिस पहुंचने के बाद उन्हें एक खबर मिली ,जहां पर मुनीम की तबीयत अधिक खराब हो गई थी । महाजनी को एक पत्र भी सेठों ने लिखा था जो वापस उसी जगह पर पहुंच गया था।
साईं बाबा की दूसरी चमत्कारी कथा
काफी समय पहले की बात है जब शिरडी में एक भक्त के साथ मित्र आया था लेकिन वो भगवान श्री राम को मानता था। उसने अपने मित्र शिरडी के भक्त को कहा मैं किसी फकीर को नहीं मानता मैं तो बस श्री राम इष्टदेव के समक्ष ही सिर झुकाता हूँ । साईं भक्त ने अपने मित्र से कहा, तुम्हें वहां कोई कुछ नहीं कहेगा । लेकिन जब दोनों शिरडी पहुंचे तो उसी ने सबसे पहले वहां साईं बाबा को प्रणाम किया ।साथ ही अपना सिर भी साईं बाबा के समक्ष झुकाया, साईं बाबा में ही उसे श्रीराम नजर आएं ।