शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मां जानकी का अवतरण हुआ था। आज के दिन ही जानकी जयंती की शुरूआत हुई थी । ऐसी मान्यता है कि राजा जनक को ऋषि मुनियों ने सलाह दी कि वे प्रजा को अकाल से बचाने के लिए स्वयं खेत में हल चलाएं। राजा जब अपने खेत में हल चला रहे थे तो तभी उन्होनें जमीन के भीतर एक मटके में बालिका मिलीं।
राजा ने उस कन्या को अपनी पुत्री मान लिया। जिसे मां जानकी भी पुकारा जाता है । देश के विविध जगहों पर माता जानकी का प्रकटोत्सव फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। हालांकि कुछ जगहों पर वैशाख नवमीं को भी जानकी जयंती मनाई जाती है।
जानिए शुभ मुहूर्त
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ सुबह 8 बजकर 15 मिनट से शुरू होगी । साथ ही अष्टमी तिथि समापन सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर होगी इसके अलावा उदया तिथि अनुसार जानकी जयंती की तिथि 14 फरवरी 2023 से हैं।
पूजा कैसे करें?
1. सबसे पहले आप स्नान कर लें उसके बाद हल्दी और चंदन से माता सीता की पूजा करनी चाहिए।
2. घी का दीया उनके सामने जलाएं साथ ही माता सीता पर श्रृंगार की सभी प्रकार की वस्तुएं चढ़ाएं।
3. उसके बाद माता जानकी को किसी मीठी चीज का भोग लगाना बेहद जरूरी होता है।
4. पूजा के समय माता सीता की आरती करना न भूले।
5. कहा जाता है माता सीता को पीले रंग की चीज अधिक प्रिय हैं इसीलिए पीले रंग की चीजों का ही भोग लगाना चाहिए।
6. जो महिलाएं सुहागिन होती है। इस दिन सभी महिलाएं व्रत रख सकती है।
7. पूजा के दौरांन माता जानकी के मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
8. पूरा दिन व्रत रखने के बाद शाम के समय व्रत को खुलना चाहिए।
9. इस मान्यता है दान जरूर करना चाहिए।
10. इस दिन खुद से बड़ों का आदर करना चाहिए यदि आप उनका अपमान करते हैं, इस तरीके की आदत से माता सीता नाराज हो जाती है। First Updated : Tuesday, 14 February 2023