ॐलोक आश्रम: 75 साल के बाद भी भारत इतना पीछे क्यों है? भाग-4
भारत के अंदर भी लोग बैठे हैं जो भारत को नंबर वन बनाने का सपना दिखाते हैं लोगों को। लोग आपस में ही एक-दूसरे की तारीफ कर रहे हैं कि हम सर्वश्रेष्ठ हैं। हम सर्वश्रेष्ठ तभी बनेंगे जब हम अपने आप को अंदर से सर्वश्रेष्ठ मानें। हम अपने मूल्यों को सर्वश्रेष्ठ मानें, हम अपनी संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ मानें। हम इस बात के लिए आवाज उठाएं कि हमारा एक देश हो
भारत के अंदर भी लोग बैठे हैं जो भारत को नंबर वन बनाने का सपना दिखाते हैं लोगों को। लोग आपस में ही एक-दूसरे की तारीफ कर रहे हैं कि हम सर्वश्रेष्ठ हैं। हम सर्वश्रेष्ठ तभी बनेंगे जब हम अपने आप को अंदर से सर्वश्रेष्ठ मानें। हम अपने मूल्यों को सर्वश्रेष्ठ मानें, हम अपनी संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ मानें। हम इस बात के लिए आवाज उठाएं कि हमारा एक देश हो। आज हम बातें जितनी भी चाहे बड़ी कर लें लेकिन यथार्थ है कि आज सनातन एक भी देश नहीं है। दुनिया में कोई भी हिन्दू राष्ट्र नहीं है। हम अपने लिए एक राष्ट्र नहीं मांग सकते। राष्ट्र बना नहीं सकते जबकि हम ही बहुसंख्यक हैं तो फिर बातें बड़ी-बड़ी करने का कोई ज्यादा फायदा नहीं है, कोई औचित्य नहीं है। सबसे पहले हमें इस काम पर लगना चाहिए। हिन्दू राष्ट्र होना चाहिए इनके मूल्यों पर काम को आगे बढ़ाना चाहिए। उसके बाद वो दिन दूर नहीं जब वास्तव में भारत विश्व का नंबर एक देश बन जाएगा।
राज्य के उद्देश्य सुनिश्चित होते है। भारत देश एक लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र में राज वही करता है जो जनता चाहती है। जो जनता मानती है। अगर जनता अपनी छोटी बातों में खुश हो जाती है कि मुझे यह मिल गया। कोई साइकिल बांट रहा है कोई लैपटॉप बांट रहा है, कोई कुछ बांट रहा है। छोटी बातों में खुश हो गई। राज्य के लिए सबसे आसान है छोटी बातें देकर। लेकिन अगर जनता के अंदर से मांग आए कि हमें आगे बढ़ना है और हमें कोई छोटी सी नौकरी लेकर बैठ नहीं जाना है, संतुष्ट नहीं हो जाना है, हमें जीवन में संघर्ष करना है।
कोई भी चीज अगर आपको घर बैठे मिल रही है तो समझो आपका बुरा कर रही है। बिना संघर्ष के अगर आप कोई संपत्ति पा जाते हो, कुछ भी पा जाते हो वो आपको आपके लिए हितकारी लगती है लेकिन आपके लिए हितकारी नहीं होती है वो आपके लिए नुकसानदायक होती है। वो आपके संघर्ष की शक्ति को कम करने वाली होती है। आज इस देश ने इतनी उन्नति कर ली है कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकता है। सरकार अच्छी शिक्षा व्यवस्था कर सकती है। अच्छा स्वास्थ्य सेवाएं दे सकती है सरकार अगर चाह ले। अगर सरकार ने अच्छी शिक्षा दे दी, अच्छा स्वास्थ्य दे दिया, अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर दे दिया तो हमारे पास एक जगह मिल गई। आगे बढ़ने के श्रोत मिल गए।
ये भी बिल्कुल सही है कि किसी भी देश का हर बच्चा वैज्ञानिक नहीं बन जाएगा लेकिन ऐसा वातावरण होना चाहिए ऐसा माहौल होना चाहिए कि कुछ बच्चे उस ऊंची सोच पर पहुंच जाएं। आज से 10 साल 15 साल पहले देख लें तो ओलंपिक में गोल्ड लाना भारत की सोच में ही नहीं था कि भारत को कभी ओलंपिक में स्वर्ण पदक मिल भी पाएगा। जितने भी एशियन गेम्स होते थे, कॉमनवेल्थ गेम्स होते थे। छोट-मोटे मेडल्स आ जाते थे। भारतीय पहलवान हर जगह पिट रहे होते थे। आज परिस्थिति ऐसी है कि खेलों में हम अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इसलिए क्योंकि हमारी सोच बड़ी हुई है। अगर हम अपनी सोच बड़ी कर लेते हैं तो धीरे-धीरे संसाधन अपने आप आ जाते हैं तो सोच बड़ी करनी है। इजरायल का उदाहरण बहुत अच्छा है। उनके पास कुछ भी नहीं था, पैसा जमीन संसाधन कुछ भी नहीं था लेकिन सोच बड़ी थी। अगर हमने सोच को बड़ा कर लिया धीरे-धीरे संसाधन अपने आप जुटने लगेंगे।