शास्त्रों के अनुसार पापमोचनी एकादशी की शुरुआत चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन हुई थी। इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना गया है। साथ ही इस दिन कई लोग भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। कई लोगों का मानना है कि इस एकादशी को पापों को नाश करने वाली एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

यदि एकादशी के दिन पूरे नियम के अनुसार व्रत और कथाएं पढ़ी जाएं, तो उस व्यक्ति के मन और तन की शुद्धि होती है साथ ही मन पर नियंत्रण करने की शक्ति प्राप्त होती है।इसके अलावा धन और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।इस दिन यदि आप एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं तो श्रीहरि की उपासना जरुर करनी चाहिए।

जानिए महत्व

 इस दिन पूजा-अर्चना करने से आपके जीवन में अनेक प्रकार की सभी समस्याएं दूर हो जायेंगी साथ ही इस दिन पापों से मुक्ति मिलेगी।प्रत्येक देवी-देवताओं का व्रत अलग-अलग दिन किया जाता है।साथ ही उसी प्रकार उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।ठीक वैसे ही पापमोचनी एकादशी को भी इसी तरह का व्रत किया जाता है।

इसके साथ ही शास्त्रों में कहा जाता है कि पापमोचनी एकादशी का व्रत करना बेहद जरुरी होता है।इस व्रत को सबसे ऊपर माना गया है। जो भी महिलाएं या पुरुष इस व्रत को करते हैं उनके मन की चंचलता समाप्त हो जाती है।इसे करने से पापों का नाश तो होता ही है साथ ही धन की भी प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि कई ऐसे लोग है जिनकी कोई संतान नही है साथ ही वह संतान चाहते हैं तो ऐसे व्यक्ति संतान प्राप्ति के लिए भी इस व्रत को रख सकते हैं।

व्रत खोलने के नियम

जो भी व्यक्ति पापमोचनी एकादशी का व्रत करते हैं ऐसे लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि व्रत खोलते समय द्वादशी का दिन होना चाहिए तभी आप इस व्रत को खोल सकते हैं साथ ही व्रत पूरा करने के बाद सुबह के समय सूर्य उगने से पहले ही स्नान कर लेना चाहिए।इसके बाद सच्चे मन से भगवान विष्णु की आराधना करें साथ ही पंडित को दक्षिणा देना न भूले। उसके बाद आप इस व्रत को आसानी से खोल सकते हैं।