'काबुल की ओर से पाप की बारात लेकर आ रहा है बाबर', जब गुरु नानक देव ने कही थी ये बात

Guru Nanak Jayanti: प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. इस साल ये शुभ पर्व 15 नवंबर को पड़ रहा है.बात उस समय की है जब बाबर भारत पर आक्रमण करने आ रहा थे. उस वक्त श्रीगुरु नानक देव जी उसे "पाप की बारात" लेकर आने वाला कहा.

Shivani Mishra
Shivani Mishra

Guru Nanak Jayanti: भारत की महान विभूतियों ने हमेशा देश और समाज को नई दिशा दी है. ऐसी ही एक विभूति थे श्रीगुरु नानक देव जी, जिन्होंने अपने जीवन में न केवल भारतीय समाज को सुधारने का प्रयास किया, बल्कि विदेशी आक्रमणकारियों का विरोध कर राष्ट्र की अस्मिता को भी जागृत किया. कहा जाता है कि जब बाबर ने भारत पर आक्रमण किया, तब गुरु नानक देव जी ने उन्हें "पाप की बारात" लेकर आने वाला कहा.

गुरु नानक देव का दर्शन न केवल भारत के लोगों को सत्य, धर्म और कर्तव्य का मार्ग दिखाता है, बल्कि राष्ट्रीय चेतना को भी सशक्त करता है. उन्होंने अपने जीवन और उपदेशों के माध्यम से समाज में व्यापक बदलाव लाने का संदेश दिया, जिससे न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता भी सशक्त हो सके.

बाबर के आक्रमण

जब बाबर ने भारत पर हमला किया और पंजाब के शैदपुर क्षेत्र में आक्रमण किया, तब गुरु नानक जी ने उसे एक आक्रांता के रूप में चिन्हित किया. उन्होंने अपनी वाणी में भारत को 'हिंदुस्थान' कहकर पुकारा, जिसका अर्थ है हिंदुओं का स्थान. भले ही उस समय देश में राजनीतिक एकता का अभाव था, लेकिन सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से यह एकजुट था. गुरु नानक जी के इस दृष्टिकोण ने लोगों में राष्ट्रीय चेतना और एकता की भावना को मजबूत किया.

राष्ट्र की अस्मिता का सम्मान

गुरु नानक जी का दर्शन समाज में व्याप्त आडंबरों और रुग्ण विचारों के खिलाफ खड़ा होता है. उन्होंने अपने उपदेशों में सत्य, कर्तव्य और परोपकार का संदेश दिया, जो न केवल समाज में समरसता लाने का प्रयास करता है, बल्कि भारत की संस्कृति को भी संजोता है. उनके विचारों में एक राष्ट्र के रूप में आत्मसम्मान और आक्रमणकारियों के खिलाफ बिना भय के खड़े होने की प्रेरणा मिलती है.

बाबर के जुल्म के खिलाफ उठाई आवाज

गुरु नानक देव जी ने बाबर के अन्याय और अत्याचार के खिलाफ बोलने में कोई झिझक नहीं दिखाई. उन्होंने बाबर को 'जाबर' कहकर संबोधित किया, जो एक आक्रांता को सीधे चुनौती देने जैसा था. उनका यह साहस समकालीन समाज के लिए एक उदाहरण बना और देश के लोगों में राष्ट्र की अस्मिता की रक्षा के प्रति एक नई ऊर्जा का संचार किया.

एकता और राष्ट्रीय चेतना का संदेश

गुरु नानक देव का जीवन और उपदेश भारतीय संस्कृति और आत्मसम्मान का प्रतीक हैं. उन्होंने समाज को खांचों और कुनबों से निकलकर राष्ट्र के सम्मान की रक्षा करने की प्रेरणा दी. उनका यह संदेश आज भी हमें भारतीय संस्कृति की समृद्धि और एकता की याद दिलाता है, जो समाज को जोड़े रखता है.

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14 November 2024, 11:26 PM IST

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