माता वैष्णो देवी के रोपवे प्रोजेक्ट के खिलाफ 72 घंटे की हड़ताल, यात्री परेशान
Vaishno Devi Ropeway Project: रोपवे परियोजना का श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति ने विरोध किया था, जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा गंडोला का काम रोक दिया गया था. लेकिन उसके बावजूद अभी तक कोई रास्ता नहीं निकला, जिसके बाद संघर्ष समिति ने 72 घंटों के लिए बंद का आह्वान किया है.
Vaishno Devi Ropeway Project: जम्मू के कटरा में श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति ने 72 घंटे की हड़ताल का ऐलान किया है, जो बुधवार से शुरू हो गई है. इस हड़ताल में कटरा और यात्रा मार्ग पर काम करने वाले दुकानदार, पिट्ठू, पालकी, घोड़ा वाले और ऑटो चालक शामिल हैं. ये हड़ताल श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा कटरा (ताराकोट) मार्ग से भवन तक लगाए जा रहे गांडोला (रोपवे) परियोजना के खिलाफ की जा रही है. हड़ताल के कारण माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.
श्राइन बोर्ड का बयान श्राइन बोर्ड का कहना है कि यह रोपवे परियोजना उन लोगों के लिए फायदेमंद होगी जो माता के दर्शन करना चाहते हैं, लेकिन उनकी स्वास्थ्य स्थिति उन्हें पैदल यात्रा करने की अनुमति नहीं देती. खासकर बुजुर्ग, विकलांग और बच्चों को इसका ज्यादा फायदा होगा. रोपवे लगने से श्रद्धालु केवल 6 मिनट में कटरा से भवन तक पहुंच सकेंगे, जबकि अभी यह यात्रा 6-7 घंटे में पूरी होती है.
यात्रियों को हो रही परेशानी
हड़ताल के कारण कटरा में खाने-पीने की दुकानों का बंद होना, पिट्ठू, पालकी और घोड़ा वालों का काम न करना और अन्य सेवाओं का ठप होना यात्रियों के लिए बड़ी मुश्किल बन गया है. कई श्रद्धालुओं का कहना है कि सरकार को इन सभी पक्षों के साथ बातचीत करके कोई हल निकालना चाहिए.
समिति का विरोध जारी रहेगा
प्रदर्शन कर रहे लोग लगातार कह रहे हैं कि वे तब तक विरोध करते रहेंगे जब तक रोपवे परियोजना को बंद नहीं किया जाता. इस विरोध प्रदर्शन के दौरान श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति के 18 सदस्यों को पुलिस ने हिरासत में लिया है. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की भी हुई. श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति के संस्थापक करण सिंह ने कहा कि इस परियोजना से कटरा से ट्रैक तक 2 लाख से ज्यादा व्यापारी, पिट्ठू, पालकी, घोड़ा, ड्राई फ्रूट व्यापारी और अन्य लोगों के व्यापार पर सीधा असर पड़ेगा.
कई पड़ावों के दर्शन पर असर
समिति का कहना है कि कटरा से भवन तक यात्रा के दौरान कई पड़ाव होते हैं, जहां श्रद्धालु माथा टेकते हुए आगे बढ़ते हैं, जैसे बाण गंगा, चरण पादुका, आधीकुवारी, सांझीछत, हाथीमथा आदि. अगर रोपवे शुरू होता है, तो श्रद्धालु इन पड़ावों पर नहीं रुक पाएंगे और यात्रा अधूरी रह जाएगी. इससे पूरे यात्रा अनुभव पर असर पड़ेगा.
व्यापार पर पडे़गा सीधा असर
पिट्ठू, पालकी और घोड़ा वालों का कहना है कि उनकी तादाद 10,000 से 12,000 के बीच है, और वे दिन में 1,000 से 2,000 रुपये कमाते हैं. अगर रोपवे शुरू हुआ, तो वे बेरोजगार हो जाएंगे. उनका आरोप है कि सरकार इस परियोजना के जरिए उनके रोजगार पर हमला कर रही है. वहीं, कटरा से भवन तक लगभग 2,000 से 2,500 दुकानें हैं, जो इस परियोजना से प्रभावित होंगी. दुकानदारों का कहना है कि अगर रोपवे बन गया, तो उनके व्यापार का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा और वे कहां जाएंगे, यह सवाल खड़ा हो गया है.