Bathing Rules: हिंदू धर्म में हर कार्य के लिए कुछ नियम और मान्यताएं बनाई गई हैं, जिनका पालन करना जीवन को सुखद और समृद्ध बना सकता है. सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक, यहां तक कि स्नान करने तक, शास्त्रों में हर पहलू को विस्तार से बताया गया है. इन नियमों का पालन करने से न केवल व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है बल्कि यह शारीरिक, मानसिक और आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी होता है.
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, निर्वस्त्र होकर स्नान करने को अनुचित माना गया है. इस परंपरा के पीछे कई पौराणिक और धार्मिक कारण बताए गए हैं. धार्मिक शास्त्रों में बताए गए ये नियम न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि मानसिक और शारीरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं.
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार गोपियां सरोवर में निर्वस्त्र होकर स्नान कर रही थीं. इस दौरान भगवान कृष्ण ने उनके वस्त्र छिपा दिए. गोपियों ने उनसे वस्त्र लौटाने की प्रार्थना की, तब भगवान कृष्ण ने उन्हें यह सिखाया कि कभी भी निर्वस्त्र होकर स्नान नहीं करना चाहिए. यह जल देवता वरुण का अपमान माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, खुले स्थानों के साथ-साथ बंद बाथरूम में भी बिना वस्त्र स्नान करना अनुचित है.
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि निर्वस्त्र स्नान करने वाले व्यक्ति को पितृदोष लग सकता है. मान्यता है कि मृतक पूर्वज हमारे आसपास मौजूद होते हैं, और इस व्यवहार से वे असंतुष्ट हो सकते हैं. इससे पूर्वज नाराज होकर जीवन में बल, धन और सुख को बाधित कर सकते हैं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, निर्वस्त्र स्नान करने से शरीर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है. यह नकारात्मक ऊर्जा व्यक्ति की मानसिकता को भी प्रभावित करती है, जिससे उसके सोचने-समझने की शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, निर्वस्त्र होकर स्नान करने से धन की देवी मां लक्ष्मी अप्रसन्न हो सकती हैं. इसका असर व्यक्ति की कुंडली में धन योग पर पड़ता है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है.
Disclaimer: ये आर्टिकल धार्मित मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता. First Updated : Monday, 23 December 2024