Bihar News : खरमास में किसी भी तरह के तरह का शुभ कार्य करना अच्छा नहीं माना जाता है. खरमास एक महीने के लिए रहता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य जैसे, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश नहीं किए जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में एक ऐसी जगह है जहां पर खरमास (Kharmas) में भी शादी-ब्याह होते हैं. दरअसल बिहार के बक्सर जिला के डुमरांव नगर के दक्षिणी-पूर्वी छोर पर ऐसा देखने को मिलता है.
काव नदी के किनारे 500 वर्ष पुराना मां डुमरेजनी का मंदिर है. इस मंदिर में भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मां आज भी सतीत्व रक्षा करने का संदेश देती हैं. इस मंदिर में कोई भी प्रतिमां नहीं है. यहां पर भस्म हुई माता राख और मिट्टी की ढेर है. इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु मिट्टी की पिंडी की आराधना करते हैं. मंदिर के एक पुजारी ने बताया कि लगभग 500 साल पहले डुमरांव घने जंगलों से घिरा हुआ था.
डुमरांव प्रखंड के अरैला गांव के कौशिक गोत्रीय ब्राह्मण परिवार में डुमरेजनी का जन्म हुआ था. उनका विवाह उत्तर प्रदेश के द्रोणवार ब्राह्मण रामचंद्र पांडेय से हुआ था. उनकी विदाई के समय बदमाशों ने उनके पति पर हमला कर दिया, तब मां चंडी रूप में आ गई थी. पति की रक्षा के लिए उन्होंने खुद को भस्म कर लिया था.
हिंदू धर्म के अनुसार खरमास के समय शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. लेकिन मां डुमरेजनी के स्थान पर हर मौसम में शादी-ब्याह होता है. ऐसा माना जाता है कि मंदिर के दरबार में शादी करने पर कोई दोष नहीं लगता है. इस मंदिर में दिल से प्रार्थना करने पर मन की मुराद पूरी होती है. First Updated : Monday, 07 August 2023