हर वक़्त मुसलमानों की फ़िक्र करने वाले इक़बाल ने भगवान राम के लिए क्या लिखा? पढ़िए

22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का प्रोग्राम है. इससे पहले ही देश का माहौल राम के रंग में रंग चुका है. इस मौक़े पर हम भी भगवान राम को लेकर एक ख़ास नज़्म पेश करने जा रहे हैं.

Tahir Kamran
Edited By: Tahir Kamran

शाही ताज और फ़क़ीर के कटोरे को बराबरी की नज़र से देखने वाले भगवान श्री राम करोड़ों हिंदोस्तानियों के अंदर बसते हैं. भगवान राम एक बेहतरीन बेटे, दोस्त, भाई, पति होने के साथ-साथ हिमालय की तरह उसूलों पर टिके रहने वाली हस्ती हैं. राम को ना सिर्फ़ हिंदू बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी मिसाल के तौर पर पेश करते हैं. अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बन चुका है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को तय किया गया है. उससे पहले पूरा हिंदोस्तान राम के रंग में रंगा हुआ है. लोग उन्हें नए-नए तरीक़ों से याद कर रहे हैं. इस मौक़े पर हम भी आपको भगवान राम के लिए लिखी गई एक नज़्म पढ़वाने जा रहे हैं. 

भगवान राम पर लिखी जाने वाली इस नज्म की ख़ास बात यह है कि इसको लिखने वाला क़लमकार मुस्लिम है. यह राइटर मुसलमानों के लिए एक बड़ी हस्ती है. इस हस्ती का नाम है अल्लामा इक़बाल. हमेशा मुसलमानों के लिए फ़िक्रमंद रहने वाले अल्लामा इक़बाल को पाकिस्तान में जिन्ना के बाद माना जाता है. यही वजह है कि अल्लामा इक़बाल के ज़रिए भगवान राम पर लिखी गई इस नज़्म की अहमियत और ज़्यादा बढ़ जाती है.

भगवान राम बचपन से ही बहादुरी और हिम्मत की मिसाल थे और उन्होंने विश्वामित्र जैसे गुरु के सानिध्य में शिक्षा प्राप्त की थी, इसलिए वे राजपाट छोड़कर जंगल में रहने चले गये. आज के युग में जहां भाई-भाई का दुश्मन है और दौलत के लिए मार-काट आम बात हो गई है, वहीं रामजी भाई के प्रेम के नशे में चूर दुनिया की इस दौलत पर टूट पड़े. रामचन्द्र जी जात-पात के जाल में नहीं फंसे, बल्कि छोटे-बड़े का भेद मिटाने के लिए छोटी जाति की भीलनी में भी भोजन करते हैं. यकीनन भगवान राम की ऐसी ही अनगिनत चीजों ने अल्लामा इक़बाल को लिखने के लिए मजबूर किया होगा. 

अल्लामा इक़बाल क्योंकि मुश्किल भाषा में लिखने वाले शायर थे. यही वजह है कि उनकी इस नज़्म में भी कई शब्द आएँगे जिनके अर्थ आमतौर पर सभी लोग नहीं जानते. लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि हम आपको उन मुश्किल शब्दों के अर्थ नीचे दिखाएँगे ताकि आपको समझने में आसानी हो. जिन शब्दों के ऊपर (*) लगा है इसका मतलब यह है कि उस शब्द का आसान अर्थ नीचे लिखा हुआ है.

भगवान राम पर लिखी गई अल्लामा इक़बाल की नज़्म-

लबरेज़* है शराब-ए-हक़ीक़त* से जाम-ए-हिंद*

सब फ़लसफ़ी* हैं ख़ित्ता-ए-मग़रिब* के राम-ए-हिंद 

ये हिन्दियों की फ़िक्र-ए-फ़लक-रस* का है असर 

रिफ़अत* में आसमाँ से भी ऊँचा है बाम-ए-हिंद*

इस देस में हुए हैं हज़ारों मलक-सरिश्त*

मशहूर जिन के दम से है दुनिया में नाम-ए-हिंद 

है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़

अहल-ए-नज़र* समझते हैं इस को इमाम-ए-हिंद 

एजाज़* इस चराग़-ए-हिदायत* का है यही 

रौशन-तर-अज़-सहर* है ज़माने में शाम-ए-हिंद 

तलवार का धनी था शुजाअ’त* में फ़र्द था 

पाकीज़गी* में जोश-ए-मोहब्बत में फ़र्द* था 

मुश्किल शब्दों के मतलब

लबरेज़= भरा हुआ, लबालब

शराब-ए-हक़ीक़त= शराब की हक़ीक़त

जाम-ए-हिंद= हिंद का प्याला

फलसफी= दार्शनिक

ख़ित्ता-ए-मग़रिब= पश्चिम का क्षेत्र

फ़िक्र-ए-फ़लक= आसमान जितनी ऊँची सोच

रिफ़अत= ऊँची

बाम-ए-हिंद= हिंदुस्तान की ऊँचाई

मलक-सरिश्त= फ़रिश्तों जैसा व्यवहार रखने वाला

अहल-ए-नजर= नज़र वाले, देखने वाले

इमाम-ए-हिंद= हिदोस्तान का इमाम या रहनुमा

एजाज़= करिश्मा, चमत्कार

रौशन-तर-अज़-सहर= सुबह की रौशनी से भी ज़्यादा चमकदार

चराग़-ए-हिदायत= दिशा दिखाने वाला चराग या लैंप

शुजाअ’त= बहादुरी

पाकीज़गी= पवित्रता

फ़र्द= व्यक्ति

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11 January 2024, 03:33 PM IST

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