Alvida Jumma 2025: रमजान का आखिरी जुमा आज, जानें इस खास नमाज का वक्त और तरीका
Alvida Jumma 2025: रमजान के आखिरी शुक्रवार को जिसे अलविदा जुमा या जुमातुल विदा कहा जाता है. इस्लाम में इसे बेहद अहम माना जाता है. इस साल यह खास दिन 28 मार्च को पड़ा है. आइए जानते हैं इस दिन की नमाज और इसकी अहमियत को लेकर पूरी जानकारी यहां पढ़ें.

Alvida Jumma 2025: पाक रमजान महीने का आखिरी शुक्रवार यानी अलविदा जुमा, इस्लाम धर्म में बेहद खास माना जाता है. इस साल यह खास दिन 28 मार्च को पड़ रहा है. इस मौके पर मस्जिदों में भारी संख्या में नमाजी इकट्ठा होते हैं और खास नमाज अदा करते हैं. इस्लाम में हर शुक्रवार का खास महत्व होता है, लेकिन रमजान के आखिरी जुमा की अहमियत कई गुना बढ़ जाती है.
इस दिन दोपहर के समय जुमा की विशेष नमाज अदा की जाती है. बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी को देखते हुए मस्जिदों में इसका समय अलग-अलग निर्धारित किया जाता है. आइए जानते हैं अलविदा जुमा की नमाज का सही वक्त और इसे पढ़ने का तरीका.
अलविदा जुमा की नमाज का समय
अलविदा जुमा की नमाज 28 मार्च 2025 को दोपहर 12:33 बजे शुरू होगी. हालांकि, हर मस्जिद में भीड़ को देखते हुए अलग-अलग समय निर्धारित किया जाता है. दिल्ली की जामा मस्जिद में यह नमाज आमतौर पर दोपहर 1:30 बजे से 2 बजे के बीच अदा की जाती है. देशभर में ज्यादातर जगहों पर यह नमाज दोपहर 1 बजे से 3 बजे के बीच पढ़ी जाती है.
कैसे अदा करें अलविदा जुमा की नमाज?
अलविदा जुमा की नमाज कुल 14 रकातों की होती है, जिसे यहां दिए गए तरीके से अदा किया जाता है:
चार रकात सुन्नत (गैर-मुअक्कदा)
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नियत: मैं चार रकात सुन्नत नमाज़ पढ़ने की नीयत करता हूं, सिर्फ़ अल्लाह के लिए, मुंह काबे की तरफ, तक़बीरे तहरीमा कहता हूं.
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हर रकात में सूरह फातिहा के बाद कोई भी सूरह पढ़ सकते हैं, जैसे सूरह इखलास, सूरह फलक या सूरह नास.
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चार रकात पूरी करने के बाद सलाम फेरें.
दो रकात फर्ज (इमाम के साथ)
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यह जुमा की सबसे जरूरी नमाज होती है.
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नियत: मैं दो रकात फ़र्ज़ नमाज पढ़ने की नीयत करता हूं, अल्लाह के लिए, मुंह काबे की तरफ, इस इमाम के पीछे.
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इसमें इमाम की इत्तेबा करनी होती है. इमाम जोर से क़िरअत करेगा और नमाजी खामोश खड़े रहेंगे.
चार रकात सुन्नत (मुअक्कदा)
यह पहली चार रकात की तरह ही अदा की जाती है.
दो रकात सुन्नत (मुअक्कदा)
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नियत: मैं दो रकात सुन्नत नमाज पढ़ने की नीयत करता हूं, अल्लाह के लिए.
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इसे अकेले पढ़ा जाता है.
दो रकात नफ़्ल (मुस्तहब)
यह नफ़्ल नमाज होती है, जिसे पढ़ना जरूरी नहीं, लेकिन इसे पढ़ने से सवाब मिलता है.
अलविदा जुमा की अहमियत
इस्लाम धर्म में अलविदा जुमा को बेहद पवित्र और खास माना जाता है. इस दिन विशेष रूप से अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगी जाती है. मान्यता है कि इस दिन पढ़ी गई नमाज से अल्लाह इंसान की गलतियों को माफ कर देता है और इसका 70 गुना अधिक सवाब प्रदान करता है. यही कारण है कि इस दिन मस्जिदों में नमाजियों की भारी भीड़ उमड़ती है और लोग इबादत में लीन रहते हैं.
Disclaimer: ये आर्टिकल धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.