बाबा बर्फानी के प्रति लोगों की आस्था बहुत हैं. हिंदू धर्म के लोग बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए हर साल हजारों के संख्या में अमरनाथ यात्रा के लिए जाते हैं. बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए भक्तों को एक साल इंतजार करना पड़ता है तब जाके उनका दर्शन हो पाता है.
अमरनाथ गुफा श्रीनगर से 135 किमी दूर समुद्र तल से लगभग 13600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. कहा जाता है कि यहां पर स्वयं शिवलिंग का निर्माण होता है. इसलिए इसे स्वयंभू भी कहा जाता है.
हिंदू धर्म की आस्था की माने तो बाबा बर्फानी के दर्शन मात्र से सारी दुख-तकलीफ-दुख-दर्द खत्म हो जाते हैं. हालांकि इस गुफा तक पहुंच पाना बेहद कठिन है लेकिन फिर भी भक्तों की काफी भीड़ देखने को मिलती है.
अमरनाथ गुफा का दर्शन सबसे पहले महर्षि भृगु ने किया था. कहा जाता है कि जब कश्मीर घाटी पूरी तरह पानी में डूबने रही थी तब महर्षि कश्यप ने नदियों और नालों के जरिए पानी को निकालना का प्रयास किया था. उस दौरान महर्षि भृग तपस्या करने के लिए शांत जगह की तलाश करते हुए हिमालय की यात्रा कर रहे थे. उसी खोज में महर्षि भृग अमरनाथ गुफा में पहुंच गए. जहां उन्हें बाबा बर्फानी के दर्शन हुए.
एक दूसरी कथा के अनुसार अमरनाथ गुफा की खोज एक चरवाहे ने किया था. कहा जाता है कि 15 वीं शताब्दी में बूटा बालिक को एक संत ने कोयले से भरा थैला दिया और जब वह थैला लेकर वापस आ रहा था तो उसमें कोयले की जगह सोने के सिक्के था. यह देखकर वह हैरान हो गया और संत को धन्यवाद करने के लिए उस जगह पर वापस गया तो वहां संत नहीं मिले. लेकिन उस जगह पर एक गुफा मिली जिसमें शिवलिंग थी. तभी से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो गई.