मुस्लिम चरवाहे ने अमरनाथ की गुफा कैसे खोजी, क्या सच में कोयला बन गया था सोना? पढ़ें पूरी कहानी

अमरनाथ यात्रा 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं और यह पवित्र यात्रा 3 जुलाई से 9 अगस्त तक चलेगी. जम्मू-कश्मीर की बर्फीली घाटियों में स्थित अमरनाथ गुफा को भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को अमर कथा सुनाने का स्थान माना जाता है. इस गुफा में हर साल प्राकृतिक रूप से बर्फ से शिवलिंग बनता है, जिसे बाबा बर्फानी कहा जाता है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

अमरनाथ यात्रा 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए हैं और यह यात्रा तीन जुलाई से नौ अगस्त तक चलने वाली है. इस यात्रा का इतिहास न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें एक दिलचस्प कहानी भी जुड़ी हुई है. अमरनाथ गुफा की खोज कैसे हुई, इस पर एक मुस्लिम चरवाहे बूटा मलिक का योगदान रहा. आइए, जानते हैं कि कैसे बूटा मलिक ने संयोगवश इस गुफा को ढूंढ़ा और उसकी महत्ता को जाना.

अमरनाथ गुफा- हिन्दू धर्म का पवित्र स्थल

अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर में स्थित है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए आते हैं. यह गुफा समुद्रतल से 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और ज्यादातर समय बर्फ से ढकी रहती है. यहां हर साल बर्फ से बना एक शिवलिंग स्थापित होता है, जो हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यधिक पवित्र स्थान है. यही कारण है कि इस गुफा का नाम अमरनाथ पड़ा, क्योंकि इसे भगवान शिव और माता पार्वती के अमरत्व के रहस्य से जोड़ा जाता है.

अमरनाथ गुफा की खोई हुई यात्रा

इतिहास में ऐसा माना जाता है कि अमरनाथ गुफा का अस्तित्व एक समय के लिए खो गया था. लेकिन बाद में, एक मुस्लिम चरवाहे बूटा मलिक ने इसे फिर से खोज निकाला. यह घटना साल 1820 की है, जब बूटा मलिक भेड़-बकरियां चराने के दौरान संयोगवश इस गुफा के पास पहुंच गए.

साधु से मिली मुलाकात और कोयले का रहस्य

गुफा के पास बूटा मलिक की मुलाकात एक साधु से हुई, जिसने उन्हें जलाने के लिए कोयले दिए. जब बूटा मलिक ने वह कोयले घर ले जाकर देखे, तो पाया कि वह कोयले सोने में बदल चुके थे. यह चमत्कारी घटना बूटा मलिक के लिए बहुत चौंकाने वाली थी. वह खुश होकर साधु को धन्यवाद देने गुफा वापस गए, लेकिन साधु वहां नहीं मिले. इसके बजाय, वहां उन्हें बर्फ से बने शिवलिंग के दर्शन हुए, जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था.

गुफा की खोज और सरकार द्वारा सेवा का जिम्मा

इस चमत्कारी घटना के बाद, बूटा मलिक ने अपनी पूरी कहानी गांव के लोगों को बताई, और यह खबर कश्मीर के राजा गुलाब सिंह तक पहुंची. इसके बाद, गुफा की खोज की गई और वहां सचमुच शिवलिंग की पूजा शुरू हो गई. राजा गुलाब सिंह ने बूटा मलिक और उनके परिवार को बाबा बर्फानी की सेवा का जिम्मा सौंपा. तब से लेकर अब तक, बूटा मलिक और उनकी पीढ़ियां अमरनाथ गुफा में भगवान शिव की पूजा करती आ रही हैं.

एक ऐतिहासिक और धार्मिक यात्रा

अमरनाथ यात्रा का आयोजन हर साल सावन माह में होता है, जो आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक चलता है. यही वह समय होता है, जब शिवलिंग के पास छड़ी मुबारक स्थापित की जाती है. श्रद्धालु इस यात्रा के दौरान बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए अमरनाथ गुफा तक पहुंचते हैं, जहां उनका सामना बर्फ से बने शिवलिंग से होता है.

शिवलिंग का अद्भुत निर्माण

अमरनाथ गुफा में बर्फ के पानी की बूंदें टपकने से शिवलिंग का निर्माण होता है. यह प्रक्रिया बहुत अद्भुत है क्योंकि शिवलिंग ठोस बर्फ का होता है, जबकि अन्य जगहों पर बर्फ कच्ची और भुरभुरी होती है. इसके अलावा, गुफा में अन्य हिमखंड भी देखे जाते हैं, जिनमें गर्जेश, भैरव और पार्वती के रूप में बर्फ के विशाल स्तंभ बने होते हैं.

अमरनाथ यात्रा 2025: रजिस्ट्रेशन शुरू

अमरनाथ यात्रा 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए हैं. यात्रा 3 जुलाई से 9 अगस्त तक चलेगी. श्रद्धालु ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के माध्यम से अपनी यात्रा की योजना बना सकते हैं और इस अद्भुत धार्मिक स्थल के दर्शन कर सकते हैं.

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16 April 2025, 01:21 PM IST

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