Bihar Temple: बिहार के इस मंदिर में आखिर क्यों नहीं रखा जाता कलश, क्या है इस जगह की परंपरा
Bihar Temple: नवरात्र के नौ दिन हर भक्त के लिए बेहद ही खास होते हैं इन नौ दिनों में वह माता की सच्चे मन से पूजा-अर्चाना करते हैं साथ ही व्रत रखते हैं.
हाइलाइट
- हिंदू धर्म में नवरात्र के सभी दिनों को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.
Bihar Temple: हिंदू धर्म में नवरात्र के सभी दिनों को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इन दिनों में अधिकतर भक्त मां की सेवा-लींन हो जाते हैं साथ ही पूरे नौ दिनों तक व्रत करते हैं. भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जहां पर मां की पूजा की जाती है. तो वहीं कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जो काफी वर्षों से भारत में मौजूद हैं जहां पर केवल लोग नवरात्र के दिनों में दर्शन करने के लिए जाते हैं. ऐसे में लोग नवरात्रि के मौके पर 9 दिन मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा भी करते हैं इस पूजा में कलश स्थापना की जाती है.
बिहार में मां दुर्गा के कई मंदिर हैं, जहां पर लोग दर्शन के लिए जाते हैं. लेकिन बिहार में कुछ ऐसे मंदिर हैं जहां पर कलश स्थापना नहीं की जाती है आखिर क्यों इस तरह की परंपरा निभाई जाती है. दरअसल पूर्णिया के इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर में कलश की स्थापना नहीं की जाती है.
700 साल पुराना मंदिर
यहां सिर्फ जयंती के दिन ही पूजा की जाती है. माता कामाख्या मंदिर में कलश नहीं बिठाया जाता है. सिर्फ जयंती गिराकर ही मां के नौ स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है. यह यह मंदिर लगभग 700 साल पुराना है यह मंदिर पूर्णिया जिला के केनगर प्रखंड के मजरा पंचायत के भवानीपुर में स्थित है आइए जानते हैं कि इसके पीछे की क्या वजह है.
बिहार में कुछ मंदिर ऐसे हैं, जहां पर बिहार के पूर्णिया के माता कामाख्या मंदिर में कलश स्थापित करने की परंपरा को नहीं निभाया जाता है. यहां सिर्फ जयंती की पूजा होती है. इसकी मुख्य वजह स्पष्ट बताते हुए माता कामाख्या मंदिर के पुजारी गौरीकांत झा, पवन झा, स्थानीय भोला यादव, राजेंद्र यादव ने बताया कि नवरात्रि के मौके पर माता कामाख्या मंदिर में कलश नहीं बिठाया जाता है. सिर्फ जयंती गिराकर ही मां के नौ स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है.