Valmiki Jayanti: आज महकाव्य रामायण के रचयिता ऋषि वाल्मीकि की जयंती है. पूरे भारत में हिन्दू धर्म के बीच इनकी जयंती को बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. आइए इस अवसर पर जानते हैं कि आज के ही दिन इस जयंती को मनाने का क्या महत्व है. और जानते हैं ऋषि वाल्मीकि के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें.
कैसे बने परम ज्ञानी ऋषि वाल्मीकि
महकाव्य रामायण के रचयिता ऋषि वाल्मीकि की जयंती हर वर्ष श्वानी मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. इस वर्ष ये 28 अक्टूबर यानि आज है. ऋषि वाल्मीकि के बारें में बात करें तो कहा जाता है कि वह पहले एक डाकू हुआ करते थे, जिनका नाम रत्नाकर था. नारद मुनि के साथ हुई मुलाकात के बाद रत्नाकर का हृदय परिवर्तन हुआ और उन्होंने लुटपाट छोड़कर सत्कर्म का रास्ता चुना.
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार रत्नाकर अपने पापों की क्षमा मांगने के लिए ब्रह्मा जी का कठोर तप किया. अपनी तपस्या में लीन रत्नाकर के शरीर पर दीमक की परत चढ़ गई. ब्रह्मा जी उनके तप से बेहद प्रसन्न हुए और उनका नाम वाल्मीकि रख दिया.
कब लिखा रामायण महकाव्य
ऋषि वाल्मीकि ने महाकाव्य रामायण की रचना उस दौरान की जब अयोध्या नरेश पुरुषोत्तम श्रीराम ने माता सीता का परित्याग किया तो मां जानकी ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में रहने लगी थीं, जहां उन्होंने दोनों पुत्र लव और कुश को जन्म दिया था.
ऋषि वाल्मीकि को प्राचीन वैदिक कल के महान ऋषियों कि श्रेणी में प्रमुख स्थान प्राप्त है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ऋषि वाल्मीकि द्वारा रचित पवन ग्रंथ रामायण में प्रेम, त्याग, ताप व यश की भावनाओं को अधिक महत्व दिया गया है. यह 21 भाषाओं में उपलब्ध है.
ऋषि वाल्मीकि महर्षि कश्यप और आदिती के नवां पुत्र वरुण से इनका जन्म हुआ है. इनकी माता चर्षणी और भी युग है. वरुण का नाम प्रचेत भी है, इसलिए इन्हें प्राचेतस नाम से भी उल्लेखित किया जाता है. First Updated : Saturday, 28 October 2023