Chaitra Navratri 2025: आज करें मां कूष्मांडा और मां स्कंदमाता की पूजा, जानें क्या आरती करने का सही तरीका
Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि 2025 का पावन पर्व भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस वर्ष 02 अप्रैल को चतुर्थी और पंचमी तिथि एक ही दिन पड़ रही है. जिसके चलते मां कूष्मांडा और मां स्कंदमाता की पूजा एक साथ करने का विशेष संयोग बन रहा है.

Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि का पर्व देवी भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस साल, 02 अप्रैल 2025 को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी और पंचमी तिथि एक ही दिन पड़ रही है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, चतुर्थी तिथि को मां कूष्मांडा और पंचमी तिथि को मां स्कंदमाता की पूजा का विशेष विधान है. ऐसे में भक्त दोनों देवियों की आराधना एक ही दिन में पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से कर सकते हैं.
मान्यता है कि नवरात्रि में देवी की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. विशेष रूप से, आरती का विशेष महत्व बताया गया है. आरती सही विधि से करने से देवी प्रसन्न होती हैं और साधक को उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं मां कूष्मांडा और मां स्कंदमाता की आरती और सही पूजन विधि.
आरती करने की सही विधि
आरती की शुरुआत देवी के चरणों से की जानी चाहिए. इसे सही तरीके से करने के लिए:
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सबसे पहले 04 बार देवी के चरणों में आरती करें.
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फिर 02 बार नाभि पर आरती घुमाएं.
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एक बार मुखमंडल पर आरती करें.
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अंत में, 07 बार पूरे शरीर पर आरती करें.
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ऐसा करने से साधक को विशेष शुभ फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
मां कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिंगला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुंचती हो मां अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
मां स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंदमाता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सब के मन की जानन हारी।
जग जननी सब की महतारी॥
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं।
हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं॥
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥
कहीं पहाड़ों पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तुम ही खंडा हाथ उठाए॥
दास को सदा बचाने आईं।
'चमन' की आस पुराने आईं॥
Disclaimer: ये आर्टिकल धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारी पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.