Chaitra Navratri 2025: कल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत, जानिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

कल से चैत्र नवरात्रि का पवित्र पर्व शुरू हो रहा है, जिसके दौरान श्रद्धालु मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और व्रत श्रद्धा भाव से करेंगे. नवरात्रि के पहले दिन की पूजा कलश स्थापना से आरंभ होती है. आइए, जानते हैं इस वर्ष घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा की पूरी विधि के बारे में.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. यह पर्व हर साल चार बार मनाया जाता है, जिनमें से दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष नवरात्रि होती हैं. चैत्र और आश्विन माह में आने वाली नवरात्रि को प्रत्यक्ष नवरात्रि कहा जाता है. चैत्र नवरात्रि का आरंभ हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है. इसी दिन से हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत मानी जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्रि के दौरान शुभ मुहूर्त में अखंड ज्योति और कलश स्थापना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि डालती हैं.

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 13 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा, जिससे भक्तों को कुल 4 घंटे 8 मिनट का समय मिलेगा. इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से लेकर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा, जिसमें भक्तों को कुल 50 मिनट का समय मिलेगा. भक्त इस समय के दौरान घटस्थापना कर सकते हैं.

नवरात्रि पूजा सामग्री की लिस्ट

नवरात्रि पूजा के लिए कुछ आवश्यक सामग्री निम्नलिखित हैं:
1.
रूई/बत्ती
2. धूप, घी और दीपक
3. फूल, दूर्वा, पंच पल्लव
4. 5 तरह के फल
5. पान का पत्ता, लौंग, इलायची
6. अक्षत, सुपारी, नारियल, पंचमेवा
7. जायफल, जौ, कलावा
8. माता की लाल चुनरी, लाल वस्त्र
9. माता की तस्वीर या अष्टधातु की मूर्ति
10. शृंगार का सामान
11. लाल रंग का आसन
12. मिट्टी का बर्तन

चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के लिए सबसे पहले घर की सफाई करें और स्नान करें. इसके बाद, घर के मुख्य द्वार पर दोनों ओर स्वस्तिक बनाएं और आम या अशोक के पत्तों से तोरण लगाएं. फिर एक लकड़ी की चौकी पर मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर रखें, साथ ही गणेश जी की मूर्ति भी रखें. अब मिट्टी के बर्तन में जौ उगाकर एक लोटे में जल भरें और उसमें थोड़ा सा अक्षत डालें. फिर उस पर आम के पत्ते लगाकर जटा वाला नारियल रखें. इसके बाद, मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजा सामग्री अर्पित करें. पूजा में मां के शृंगार का सामान चढ़ाना न भूलें. अंत में घी का दीपक जलाकर आरती करें. 

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. जनभावना टाइम्स इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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29 March 2025, 05:49 PM IST

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