Chhath Puja : देश भर में हर साल छठ महापर्व मनाया जाता है. सनातन धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से इस पर्व की शुरुआत हो जाती है. यह बिहार का प्रमुख त्योहार है जिसे लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. हिन्दुओं में यह एक ऐसा त्योहार है जिसमें उगते सूरज के डूबते सूरज की उपासना की जाती है. मान्यता है कि महिलाएं 24 घंटे से भी अधिक का निर्जला व्रत रखती हैं और यह संतान की लंबी उम्र के लिए होता है.
छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मईया की पूजा की जाती है. मान्यता के अनुसार छठ माता को ब्रह्मा की मानस पुत्री कहा जाता है. इनकी पूजा करने से संतान सुख मिलता है और संतान की उम्र लंबी होती है. एक मान्यता यह भी है कि मठी मईया को सूर्य देव की बहन कहा जाता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में कर्ण का जन्म सूर्य देव के वरदान से कुंती के गर्भ से हुआ था. वह सूर्य पुत्र कहलाते थे और वह सूर्य देव के परम भक्त थे. कर्ण ने ही सबसे पहले सूर्य देव की पूजा की थी. सूर्य को सुबह जल देने से सेहत अच्छी रहती है. जीवन में सूरज की महत्ता को देखते हुए उन्हें छठ पर्व पर अर्घ्य दिया जाता है.
छठ पूजा 4 दिनों का महापर्व है. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर पहले दिन नहाय-खाय से छठ पर्व का शुभारंभ होता है. दूसरे दिन खरना होता है. षष्ठी तिथि को मुख्य छठ व्रत शुरू हो जाता है, इस दिन डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. फिर अगले दिन सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद ही छठ पूजा के महापर्व पूर्ण होता है. First Updated : Tuesday, 17 October 2023