Kumbh 2025: सनातन संस्कृति का सबसे पुराना और जीवंत रूप भारत में देखने को मिलता है और उसमें भी प्रयागराज का स्थान सबसे प्रमुख है. यह शहर सिर्फ धार्मिक महत्व के कारण ही नहीं, बल्कि इसके ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के कारण भी प्रसिद्ध है. प्रयागराज का सबसे प्रमुख स्थल है त्रिवेणी संगम, जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदियाँ मिलती हैं. इसे तीर्थराज भी कहा जाता है क्योंकि यहीं पर सृष्टि के पहले यज्ञ की शुरुआत हुई थी, जो इसे और भी पवित्र बनाता है.
दशाश्वमेध घाट का इतिहास और महत्व
प्रयागराज का दशाश्वमेध घाट बेहद पवित्र है और इसे ब्रह्मा जी से जुड़ी कई कथाओं के कारण विशेष महत्व प्राप्त है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने गंगा तट पर खुद दस अश्वमेध यज्ञ किए थे। इसी कारण इस घाट का नाम दशाश्वमेध पड़ा। यही वह जगह है जहां स्वंय ब्रह्मा जी ने ब्रह्मेश्वर शिवलिंग की स्थापना की थी।
दशाश्वमेध मंदिर का धार्मिक महत्व
प्रयागराज के दशाश्वमेध घाट पर स्थित ब्रह्मेश्वर शिवलिंग की पूजा विशेष महत्व रखती है. यह शिवलिंग पूजन से तत्काल फल की प्राप्ति होती है. यह मंदिर भारतीय सनातन आस्था का प्रतीक है. मंदिर में एक ही साथ दो शिवलिंगों की पूजा की जाती है, जिनमें से एक ब्रह्मेश्वर शिवलिंग वह है जिसे ब्रह्मा जी ने स्थापित किया था. इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत गहरा है.
महाकुंभ 2025 के लिए तैयारियां
महाकुंभ 2025 की तैयारियों के तहत, दशाश्वमेध घाट और मंदिर का पुनर्निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्धार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. मंदिर और घाट को नए रूप में सजाया गया है ताकि आने वाले श्रद्धालु महाकुंभ में सुगमता से दर्शन कर सकें और पूजा अर्चना कर सकें.
सीएम योगी का योगदान
सीएम योगी के प्रयासों से, दशाश्वमेध घाट और मंदिर ने अपनी प्राचीन वैभव को फिर से प्राप्त किया है. पहले किसी भी सरकार ने इस दिशा में ऐसा ध्यान नहीं दिया था. अब इस ऐतिहासिक स्थल का जीर्णोद्धार और सुंदरता बढ़ाने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं
महाकुंभ 2025 में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को विशेष सुविधा प्रदान की जाएगी. यहाँ पर वे अपनी आस्थाओं को पूर्ण कर सकेंगे और ब्रह्मेश्वर शिवलिंग के दर्शन से उन्हें पुण्य की प्राप्ति होगी. साथ ही, इस बार मंदिर और घाट को नई साज-सज्जा और सुविधाओं के साथ तैयार किया जाएगा ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो. प्रयागराज का दशाश्वमेध घाट धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है. यहां का यज्ञ स्थल और ब्रह्मेश्वर शिवलिंग भारतीय सनातन धर्म के लिए विशेष स्थान रखते हैं. महाकुंभ 2025 की तैयारी में इसे और भी खूबसूरती से सजाया जा रहा है ताकि लाखों श्रद्धालु अपने विश्वास और आस्था के साथ यहां आ सकें और पुण्य लाभ प्राप्त कर सकें. First Updated : Tuesday, 10 December 2024