Dhruvaloka: आकाश के बीच में एक अद्वितीय और रहस्यमय स्थान है जिसे 'ध्रुव लोक' कहते हैं. यह लोक हमारे पृथ्वी से लाखों योजन दूर, आकाश में स्थित है और पुराणों के अनुसार, यहां भगवान विष्णु का निवास माना जाता है. अगर आप सोच रहे हैं कि ये ध्रुव लोक आखिर है कहां और इसमें कौन रहते हैं तो आइए जानते हैं इसके बारे में और जानिए इस लोक के रहस्यों के बारे में.
ध्रुव लोक का महत्व और उसका स्थान
ध्रुव लोक को पुराणों में सबसे ऊंचे स्वर्गीय मंडल के रूप में बताया गया है. यह मंडल सप्तर्षि मंडल से ठीक ऊपर स्थित है, और यहां तक पहुंचने के लिए 11 लाख योजन का अंतर होता है. यही नहीं, इस लोक के नीचे सप्तर्षि मंडल है, और आज भी सप्तर्षि के सात ऋषि इस लोक की परिक्रमा करते हैं. ध्रुव लोक का नाम इसी कारण पड़ा, क्योंकि भगवान विष्णु ने ध्रुव से कहा था कि वह एक खगोलीय पिंड का रूप लेंगे, जो महाप्रलय से भी प्रभावित नहीं होगा.
ध्रुव और उनका वंश
ध्रुव लोक का संबंध भगवान विष्णु के परम भक्त, बालक ध्रुव से है. ध्रुव ने भगवान विष्णु की भक्ति के कारण दिव्य वरदान प्राप्त किया और वह आकाश में एक अमर पिंड के रूप में स्थित हो गए. उनके वंशजों को 'ध्रुववंशी' कहा जाता है, और उनका यह दिव्य लोक हमेशा के लिए स्थिर रहता है.
ध्रुव लोक में दिन और रात का अनोखा चक्र
ध्रुव लोक में समय का चक्र हमारे पृथ्वी के समान नहीं है. यहां 6 महीने का दिन और 6 महीने की रात होती है. यह स्थान इतना अद्भुत है कि यहां की रातें और दिन मानव कल्पना से भी परे हैं. यह एक विशिष्ट स्थिति है, जो ध्रुव लोक को बाकी लोकों से अलग बनाती है.
ध्रुव लोक का महत्व
ध्रुव लोक को देवताओं का वास स्थल भी माना गया है. यह स्थान न केवल भगवान विष्णु का निवास है, बल्कि आकाश में स्थित स्वर्लोक के दस अंगों में से एक है. सूर्य मंडल से लेकर ध्रुव लोक तक कुल 10 स्वर्ग हैं, जो इस अद्वितीय स्थान का हिस्सा हैं.
ध्रुव लोक न केवल एक दिव्य स्थान है, बल्कि इसका गहरा धार्मिक और खगोलीय महत्व भी है. जहां भगवान विष्णु का वास है और जहां का समय चक्र पृथ्वी से बिल्कुल अलग है, यह लोक संसार के अद्भुत रहस्यों को दर्शाता है. यही कारण है कि ध्रुव लोक को पुराणों में एक अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है, जिसे हर भक्त और ज्ञानी जानने की इच्छा रखता है. First Updated : Thursday, 16 January 2025