Dussehra 2023: भारत का ये कैसा गांव हैं जहां नहीं मनाया जाता दशहरा, क्या है इसके पीछे का राज
Dussehra 2023: हर साल की तरह इस इस साल दशहरा का पावन त्योहार 24 अक्टूबर को बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. साथ ही अलग-अलग जगहों पर दशहरा का मेला भी लगाया जाता है.
हाइलाइट
- पूरे देशभर में त्योहारों की धूम मची हुई है.
Dussehra 2023: पूरे देशभर में त्योहारों की धूम मची हुई है ऐसे में अब 24 अक्टूबर के दिन दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है. बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार दशहरा देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. भगवान श्रीराम ने इसी दिन अहंकारी रावण का वध किया था. इस दिन जगह-जगह पर रावण का पुतला दहन किया जाता है. हालांकि भारत में कुछ ऐसी जगहें हैं. जहां पर रावण दहन नहीं किया जाता है. बल्कि उसकी पूजा–अर्चना की जाती है.
नहीं जलाया जाता यहां रावण
उत्तर प्रेदश के एक गांव में रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता है. मेरठ में मौजूद इस गांव का नाम गगोल है. इस गांव में दशहरा नहीं मनाने की एक खास परंपरा है. दरअसल इस गांव में 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों को फांसी दी गई थी. यह पीपल का पेड़ आज भी गांव के बाहर स्थित है .
मंदोदरी को मिला वरदान
इस पीपल के पेड़ पास ही एक मठ है जिसका नाम भूमिका है. मेरठ में कई प्राचीन मंदिर है जिसमें बिल्वेश्वर नाथ मंदिर की एक अलग ही पहचान है माना जाता है कि त्रेता युग में रावण की पत्नी मंदोदरी इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने आती थी. भगवान शंकर ने मंदोदरी की तपस्या से प्रसन्न होकर बिल्वेश्वर नाथ मंदिर में ही दर्शन दिए थे. और वरदान मांगने के लिए कहा था. मंदोदरी दानवों के राजा मयदानव की पुत्री थी.
इतिहास
गगोल गांव मेरठ से 15 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां पर विजयादशमी के दिन रावण नहीं जलाने की वजह दूसरी जगहों से काफी अलग है. इस गांव में दशहरे के दिन मायूसी छाई रहती है बताया जाता है कि लोग इस दिन अपने घरों में चूल्हा तक नहीं जलाते हैं.