Dussehra 2023: रावण के 10 सिर क्यों माने जातें हैं बुराईयों के प्रतीक और कैसे पड़ा दशानन नाम

Dussehra 2023: भगवान श्रीराम ने लंका के राजा रावण से युद्ध लड़ा और उसे पराजित करके असत्य पर सत्य की जीत हासिल कर दुनिया को संदेश दिया. रावण स्वंय में एक महान व्यक्तित्व था.

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Dussehra 2023: भगवान श्रीराम और लंका के राजा रावण के युद्ध के बारे में सभी लोग आज भी चर्चे करते हुए दिखाई देते हैं कि कैसे रावण को पराजित करके असत्य पर सत्यकी जीत का संदेश दिया. रावण में कुछ अच्छाइयां थी तो कुछ बुराईयां भी थी जिसकी वजह से रावण को बुरा माना जाता है. रावण को महाज्ञानी और महाशक्तिशाली भी कहा जाता है. कहते हैं कि रावण के बराबर भगवान शिव का कोई भक्त नहीं हैं जिसने इतनी भक्ति की है.?

क्या है रावण के दस सिरों का महत्व?

जैसी कि आप लोग जानते ही हैं कि रावण के दस सिर की चर्चा रामचरित मानस में आती है. हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि रावण के दस सिर नही थे. रावण मायावी था जो दस सिरों का भ्रम बनाता था. रामचरित मानस समेत कई ग्रंथों के में कहा जाता है कि रावण के दस सिर 6 शास्त्रों और 4 वेदों के प्रतीक हैं. इसीलिए उन्हें एक महान विद्वान और अपने समय का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति बताया गया है. व्यक्ति बताया गया है मान्यता है कि रावण 65 प्रकार के ज्ञान और हथियारों की सभी कलाओं में निपुण था. इसके अलावा रावण के 10 सिरों को बुराइयों का प्रतीक माना जाता है.

भगवान शिव के चरणों में किया अपना सिर अर्पित 

रावण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तरह तरह के तप किया करते थे. साथ ही लंकापति रावण को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है. कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव प्रसन्न नहीं हुए रावण को अपने दर्शन नहीं इससे क्रोधित होकर लंकापति ने अपना सिर काटकर भगवान शिव के चरणों में रख दिया. लेकिन उनका सिर फिर से जुड़ गया. उन्होंने फिर से अपना सिर काटा लेकिन फिर से रावण का सिर जुड़ गया.

ऐसे पड़ा रावण का नाम दशानन

एक-एक करके रावण ने 10 बार सिर धड़ से अलग कर दिया और सिर दस बार जुड़ गए. रावण की कठिन तपस्या के बाद भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि उनका वध तब तक कोई नहीं कर सकता जब तक कोई नाभि पर प्रहार न करें. इसके बाद शिव जी रावण को दस सिरों का भी वरदान दिया. यही कारण है कि रावण को दशानन के नाम से भी जाना जाता है. First Updated : Sunday, 22 October 2023