Aghoris Mysterious Lifestyle: हमारे देश में कई तरह के साधु होते हैं जिनमें ब्रह्मचारी, योगी, नाथपंथी और वैष्णव शामिल हैं. लेकिन अघोरी साधू ऐसे होते हैं जिनको देखते ही लोग डर जाते हैं. अघोरी एक रहस्यमयी समुदाय होते हैं, जो तंत्र-मंत्र और शिव की आराधना के लिए जाने जाते हैं. ये शमशान में रहते हैं और जले हुए शव का भस्म लगाते हैं.
अघोरी साधु मदिरा का सेवन भी करते हैं, और उनकी साधना का उद्देश्य आत्मा की उन्नति और शिव के करीब पहुंचना होता है. उनकी जीवनशैली विवादास्पद और रहस्यमयी है. इस बीच आज हम आपको अघोरी साधु के जीवन के कुछ रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं तो चलिए जानते हैं.
अघोरी शिव की उपासना के लिए श्मशान घाट को अपना निवास स्थान बनाते हैं. वे अधजले शवों को साधना के लिए इस्तेमाल करते हैं और उनका मांस खाते हैं. ये सुनकर आपको थोड़ा अजीब लगा होगा लेकिन ये सच है. क्योंकि उनका मानना है कि इससे तंत्र क्रिया की शक्ति बढ़ती है. जहां आम लोग श्मशान घाट को डर और घृणा की नजर से देखते हैं, वहीं अघोरी इसे अपनी साधना और तांत्रिक क्रियाओं का केंद्र मानते हैं.
आपको बता दें कि और साधु की तरह अघोरी साधु ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते. उनके अनुसार, भगवान की भक्ति का सबसे सच्चा रूप तब होता है जब साधक सबसे खराब परिस्थितियों में भी भगवान के प्रति समर्पित हो. अघोरी मानते हैं कि शव के साथ शारीरिक क्रिया के दौरान भी अगर ध्यान भगवान पर केंद्रित हो, तो यह साधना का उच्चतम स्तर है.
अघोरी शवों की राख (भस्म) को अपने शरीर पर लगाते हैं. उनके लिए यह राख पवित्रता और भगवान शिव के प्रति समर्पण का प्रतीक है. अघोरियों का मानना है कि जीवन और मृत्यु के बीच कोई अंतर नहीं है. वे शिव को अंतिम सत्य मानते हैं और अपनी साधना के जरिए मोक्ष की प्राप्ति करना चाहते हैं. आपको बता दें कि अघोरी संप्रदाय का रहस्य, उनकी साधना और जीवनशैली आम लोगों के लिए हमेशा से जिज्ञासा का विषय रहा है. हालांकि, उनके तरीकों की आलोचना भी होती है, लेकिन उनकी साधना की गहराई और समर्पण को नकारा नहीं जा सकता. First Updated : Saturday, 11 January 2025