Eid-ul-Adha 2023: मुस्लिम क्यों करते हैं हज? जानें हज यात्रा से जुड़ा इतिहास

Eid-ul-Adha 2023: हज को इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना जाता है. यह परंपरा काफी समय से चली आ रही है जिसमें शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम मुस्लिमों को अपने जीवन में हज के लिए जरूर जाना पड़ता है.

Shweta Bharti
Edited By: Shweta Bharti

हाइलाइट

  • हज को इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना जाता है. यह परंपरा काफी समय से चली आ रही है.

Eid-ul-Adha 2023: सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का में यात्रा की शूरुआत हो चुकी है ऐसे कास मौके पर दुनियाभर से हजारों की संख्या में लोग इस यात्रा में शामिल होते हैं. कोरोना काल के समय लगी कुछ पांबदियों को अब हटा दिया गया है और इस बार उम्मीद की जा रही है कि भारी संख्या में लोग इस यात्रा में नजर आ सकते हैं.

प्रत्येक मुस्लिम की तमन्ना होती है कि वह अपने जीवन में एक बार हज यात्रा में शामिल हो जाएं. मुस्लिम समुदाय के लिए मक्का ऐतिहासिक तीर्थ स्थल है और यहां से हज यात्रा की शुरुआत की जाती है. लेकिन आप इस बारे में जानते हैं कि हज यात्रा से जुड़े कुछ खास नियम भी होते हैं. आइए जानते हैं कि कब से शुरू होगी हज यात्रा क्या है इसका महत्व?

कब शुरू होती है हज यात्रा?

आपको बता दें कि जिस तरह एक हिंदू कैलेंडर होता है ठीक उसी प्रकार इस्लाम समुदाय का भी अपना एक कैलेंडर होता है. जिसे इस्लामिक कैलेंडर के नाम से जाना जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के 12वें और अंतिम महिने जिल-हिज्जा की 8वीं तारीख तक हज यात्रा होती है जो कि इस साल 26 जून से शुरू हो चुकी है यह यात्रा 1 जुलाई तक रहेगी.

कैसे की जाती है हज यात्रा?

हज करने वाले को हाजी कहा जाता है. हाजी धुल-हिज्जा के सातवें दिन मक्का पहुंचते हैं. हज यात्रा के पहले चरण नें हाजी इहराम बांधा जाता है. आपको बता दें कि यह एक सिला हुआ कपड़ा होता है. महिलाएं अपनी पंसद का सादा कपड़ पहन सकती हैं.

हिजाब के नियमों का पालन आवश्य करें. हज के पहले दिन सात बार काबा के चक्कर काटते हैं. इसके बाद सफा और मरवा की दो पहाड़िया होती है जहां पर पानी की तलाश में सात बार पहाड़ियों के बीच जाना पड़ता है. इसके बाद 8 किलोमीटर दूर मीना शहर इकट्ठा होते हैं और रात में नमाज अदा करते है.

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29 June 2023, 12:47 PM IST

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