Ganga Saptami 2023: पंचाग के अनुसार प्रत्येक वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी मनाई जाती है। माना जाता है कि इस दिन देवी गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं।हिंदू धर्म में गंगा सप्तमी का काफी महत्व दिया जाता है। इस दिन मां गंगा की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही गंगा स्नान करना लोगों के लिए बेहद जरूरी होता है।इसके साथ ही जरूरतमंदों में दान अवश्य करना चाहिए।
कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन किसी अन्य व्यक्तियों को दान करते हैं उनके जीवन में सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर होती है। साथ ही उसके जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
यूं तो आप गंगा में कभी भी डुबकी लगा सकते हैं, लेकिन परम पुण्य की प्राप्ति के लिए गंगा सप्तमी पर इसका महत्व बढ़ जाता है।यदि गंगा किनारे जाकर स्नान करना संभव न हो तो आप गंगाजल की कुछ बूंदे साधारण जल में मिलकर उससे स्नान कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि गंगा सप्तमी का शुभ मुहूर्त कब है?
गंगा सप्तमी का शुभ मुहूर्त- 27 अप्रैल दिन गुरुवार सुबह 11 बजे से दोपहर 1:38 मिनट तक होगा।इस दिन शास्त्रों में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को तीर्थ स्नान करना बेहद जरूरी होता है।
इस दिन कई लोगों के मन में सवाल होते हैं कि गंगा सप्तमी पर मां गंगा की पूजा किस तरह से करें।आज हम आपको बतायेंगे की गंगा सप्तमी पर किस तरह पूजा करने से आप मां गंगा को प्रसन्न कर सकते हैं।
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन सभी लोगों को गंगा स्नान करना जरूरी होता है।इसके साथ ही गंगा नदी में तिल का दान करना चाहिए, गंगा घाट पर पूजन करें, पूजा के बाद अपने सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान अवश्य करें।
गंगा सप्तमी पर शाम को चांदी या स्टील के लोटे में गंगा जल भरें और उसमें बेलपत्र डालना न भूलें।उस जल को मंदिर ले जाएं और शिव जी पर चढ़ाएं।
माना जाता है कि जो भी महिला या पुरुष इस दिन सच्चे मन से पूजा करते हैं उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।साथ ही सुख-शांति की कामना जरूर करें।
हर सोमवार को शिवलिंग पर गंगा जल अर्पित करें, जल अर्पित करते समय या तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें या "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते रहें। इसके साथ ही शिव जी से आयु रक्षा और उत्तम सेहत की प्रार्थना करें।
कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस तरह से भगवान शिव की पूजा करते हैं। उनके जीवन में सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है। साथ ही उनके जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
1. गंगाजल को हमेशा पवित्र और धातु के पात्र में ही रखना चाहिए।
2. याद रहें कि गंगाजल ईशान कोण में ही रखा होना चाहिए।
3. अपवित्र हाथों से गंगाजल को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
4. भगवान शंकर की पूजा में गंगाजल का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। First Updated : Wednesday, 26 April 2023