Govardhan Puja 2024: बिना अन्नकूट के क्यों अधूरी है गोवर्धन पूजा, जानें कैसे शुरू हुई परंपरा

Govardhan Puja Mahatva: हिन्दू धर्म में गोवर्धन पूजा का खास महत्व है. इस दिन गाय का गोबर का उपयोग एक सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने के साथ-साथ कृषि के महत्व को दर्शाने और भगवान कृष्ण की लीला को याद करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. तो चलिए गोवर्धन पूजा के बारे में विस्तार से जानते हैं.

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Govardhan Puja Mahatva: हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का खास महत्व है, और इस पूजा में गोबर का उपयोग एक अनिवार्य हिस्सा माना जाता है. गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा का स्मरण करते हुए गोबर से बने पर्वत की पूजा की जाती है. इस पूजा के जरिए प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है और कृषि के महत्व को भी दर्शाया जाता है.

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, गोबर को पवित्र माना जाता है और इसे घर की सफाई, देवताओं की पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता है. गोवर्धन पूजा में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाना अनिवार्य माना जाता है. गोबर न केवल पवित्रता का प्रतीक है, बल्कि यह घर की समस्याओं को दूर करने और सुख-समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है.

गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है

गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण की गोवर्धन पर्वत को उठाने वाली लीला की स्मृति में मनाई जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार, जब इंद्रदेव ने गोकुल वासियों से नाराज होकर मूसलाधार बारिश शुरू की, तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गांववासियों और पशुओं की रक्षा की. इससे यह संदेश मिलता है कि प्रकृति और पर्यावरण का सम्मान करना चाहिए. गोवर्धन पूजा में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की जाती है, जिससे प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त होता है, साथ ही, अन्नकूट और छप्पन भोग का आयोजन कर भगवान को प्रसन्न किया जाता है.

गोवर्धन पूजा में अन्नकूट का महत्व

अन्नकूट के बिना गोवर्धन पूजा अधूरी मानी जाती है. अन्नकूट, गोवर्धन पूजा का एक अहम हिस्सा है. गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 या 108 तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है, जिन्हें अन्नकूट कहा जाता है. अन्नकूट में मक्खन-मिश्री, दूध-मलाई, बर्फी, और कई तरह के मिष्ठान शामिल होते हैं. श्रीकृष्ण को छप्पन भोग के रूप में अर्पित किया जाता है. अन्नकूट में तैयार किए गए पकवानों को भगवान को अर्पित करने के बाद सामूहिक रूप से बांटा जाता है, जिससे सामाजिक मेलजोल और भाईचारे का भी संदेश मिलता है.

गोवर्धन पूजा की परंपरा की शुरुआत कैसे हुई?

गोवर्धन पूजा की परंपरा एक पौराणिक कथा पर आधारित है. जब भगवान इंद्र ने लगातार बारिश करके ब्रजवासियों को परेशान किया, तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर सभी की रक्षा की थी. इस घटना के स्मरण में गोवर्धन पूजा की जाती है. गोबर से बने पर्वत का निर्माण इस घटना का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान कृष्ण के प्रकृति की शक्ति का उपयोग करके ब्रजवासियों की रक्षा करने का संदेश देता है. First Updated : Saturday, 02 November 2024