Hanuman Jayanti Katha: हनुमान जयंती क्यों मनाई जाती है दो बार, जानिए भगवान के जन्म की पौराणिक कथा और इसका महत्व
Hanuman Jayanti: हनुमान जयंती, जो चैत्र पूर्णिमा और कार्तिक माह की चतुर्दशी को मनाई जाती है, भगवान हनुमान के जन्म और उनकी शक्ति से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी है. इस दिन की पूजा से भक्तों को मिलती है भय और दुखों से मुक्ति. क्या आप जानते हैं इसके पीछे कौन सी पौराणिक घटना छुपी है? पूरी कथा जानने के लिए पढ़िए!

Hanuman Jayanti 2025: हनुमान जयंती एक ऐसा त्यौहार है जिसे भगवान हनुमान के सम्मान में मनाया जाता है, जो समर्पण, भक्ति और शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं. यह पर्व उनकी महानता और शक्ति को श्रद्धा के साथ मनाने का अवसर होता है. यह दिन विशेष रूप से हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन भगवान हनुमान का जन्म हुआ था.
भले ही यह दिन हर साल चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जयंती साल में दो बार मनाई जाती है? इस दिन की पूजा से न केवल भक्तों को मानसिक शांति मिलती है बल्कि हनुमान जी की कृपा से जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान भी मिलता है. आइए जानते हैं हनुमान जयंती से जुड़ी पौराणिक कथा और इसके महत्व को.
हनुमान जयंती कब और क्यों मनाई जाती है?
हनुमान जयंती विशेष रूप से चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो इस साल 12 अप्रैल को पड़ रही है. यह दिन भगवान हनुमान के जन्म का दिन माना जाता है और इस दिन भक्तों द्वारा विधिपूर्वक पूजा अर्चना की जाती है. भगवान हनुमान के जन्म का दिन "हनुमान जन्मोत्सव" के रूप में मनाया जाता है. इस दिन विशेष रूप से श्रद्धालु अपने घरों में या मंदिरों में जाकर हनुमान जी की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
हनुमान जयंती की पौराणिक कथा
हनुमान जी की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जयंती मनाने की एक खास पौराणिक कथा है? कहते हैं कि भगवान हनुमान का जन्म कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुआ था. एक बार हनुमान जी ने सूर्य को फल समझकर निगल लिया था, जिससे इंद्रदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने वज्र से हनुमान जी पर प्रहार किया, जिससे बाल हनुमान मूर्छित हो गए थे.
यह देख पवन देव ने क्रोधित होकर ब्रह्मा जी और सभी देवी-देवताओं से प्रार्थना की और हनुमान जी को पुनः जीवनदान दिया. इस घटना के बाद, उस दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाना शुरू किया गया. यह दिन हनुमान जी की असीम शक्ति और आशीर्वाद का प्रतीक बन गया. इस दिन पूजा करने से भक्तों को हर संकट से मुक्ति मिलती है और भगवान हनुमान की शक्ति उनके जीवन में आती है.
साल में क्यों 2 बार मनाई जाती है हनुमान जयंती?
हमेशा यह सवाल उठता है कि हनुमान जयंती साल में दो बार क्यों मनाई जाती है? दरअसल, एक बार चैत्र माह की पूर्णिमा को और दूसरी बार कार्तिक माह की चतुर्दशी को. कार्तिक माह की चतुर्दशी को हनुमान जी का जन्म माना जाता है, जबकि चैत्र माह की पूर्णिमा को इस दिन से जुड़ी एक और पौराणिक कथा है. चैत्र मास की पूर्णिमा को ही वह दिन माना जाता है जब हनुमान जी को जीवन मिला था और उन्हें अपनी पूरी शक्ति का अहसास हुआ था. इसी वजह से हनुमान जयंती दो बार मनाने की परंपरा बन गई.
हनुमान जयंती का महत्व
हनुमान जयंती का महत्व केवल पूजा और पर्व तक सीमित नहीं है बल्कि यह एक दिव्य दिन है जब भक्त भगवान हनुमान से शक्ति, साहस और साहसिकता प्राप्त करने के लिए आशीर्वाद लेते हैं. विशेष रूप से इस दिन भगवान हनुमान के 108 नामों का जाप और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है जो श्रद्धालुओं के जीवन में हर प्रकार की बाधाओं और संकटों को दूर करता है.


