तिरुपति में कैसे शुरू हुई बाल दान की परंपरा? जानें इसके पीछे की कहानी
भारत के सबसे बड़े तिरुपति बालाजी में जो भी व्यक्ति बाल दान करता है भगवान उसे 10 गुना धन लौटाते हैं. साथ ही बाल दान करने वाले व्यक्ति पर देवी लक्ष्मी की भी अपार कृपा होती है. आइए आपको बताते हैं लोगों द्वारा बाल दान करने के पीछे की कहानी...
Tirupati Balaji Temple: भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र मंदिरों में से एक तिरुपति बालाजी मंदिर, आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमाला पर्वत पर स्थित है. यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर स्वामी को समर्पित है, जो अपनी पत्नी पद्मावती के साथ यहां वास करते हैं. मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से सभी पापों का अंत हो जाता है.
बाल दान की परंपरा का आरंभ
आपको बता दें कि तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल दान करने की परंपरा सदियों पुरानी है. एक कथा के अनुसार, एक बार भगवान वेंकटेश्वर नीलाद्रि पर्वत पर सो रहे थे. देवी नीलाद्रि ने देखा कि उनके सिर पर एक धब्बा है. देवी ने अपने बाल खींचकर भगवान के सिर पर लगा दिए ताकि उनकी सुंदरता और बढ़ जाए. जब भगवान जागे और यह देखा, तो उन्होंने देवी के बाल वापस देना चाहा. लेकिन देवी ने इसे अस्वीकार कर दिया और कहा, ''भविष्य में भक्त अपने बाल दान करेंगे, जिससे उनके सभी पाप और कष्ट दूर होंगे.''
एक अन्य कथा का उल्लेख
वहीं दूसरी कथा के अनुसार, एक गाय ने भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति पर दूध चढ़ाया था. गाय के मालिक ने गुस्से में कुल्हाड़ी से हमला किया, जिससे भगवान के सिर पर चोट आ गई और उनके बाल गिर गए. देवी नीला ने अपने बाल भगवान के सिर पर रख दिए, जिससे उनकी चोट ठीक हो गई. भगवान ने कहा, ''जो भक्त अपने बाल मेरे लिए त्याग करेगा, मैं उसे मनचाहा फल दूंगा.''
बाल दान का महत्व और उपयोग
इसके अलावा आपको बता दें कि तिरुपति बालाजी में दान किए गए बालों का उपयोग हेयर विग और एक्सटेंशन बनाने में होता है. इन्हें बेचकर प्राप्त धन को मंदिर की चैरिटेबल गतिविधियों और जनकल्याण कार्यों में लगाया जाता है.