Holi 2024: आज देशभर में रंगो को त्योहार मनाया जा रहा है. हर तरफ लोग गुलाल उड़ा रहे हैं. इस खास मौके पर आपको मुग़लों के जमाने में ले चलेंगे. आपको बताएंगे कि आज की तरह ही पुराने जमाने में भी होली की धूम कुछ कम नहीं रहती थी. मुग़लों के दौर में होली को ईद-ए-गुलाबी नाम दिया गया था. उस वक्त रंगो को फूलों से बनाया जाता था. इन्हीं रंगों से हौदों को भरा जाता था. इसमें गुलाबजल और केवड़े का इत्र को भी मिक्स किया जाता था. इन्ही रंगों से राजा अपनी प्रजा के साथ होली खेलते थे.
मुग़लों के बारे में आज बात होती है तो उनको क्रूर राजाओं को तौर पर याद किया जाता है. लेकिन इतिहास में कुछ चीजे ऐसी भी दर्ज हैं जो हिंदू-मुस्लिम एकता तो दर्शाती हैं. इतिहास का लिखा मानें तो मुग़लों के जमाने में होली को एक त्योहार का दर्जा दिया गया था. मुंशी जकाउल्लाह ने अपनी किताब जिसका नाम तहरिक-ए-हिंदुस्तानी है, उसमें बताया कि कौन कहता है कि होली बस हिंदुओं का ही त्योहार, बाबर का जब दौर था तब भी लोग रंग से भरे हौद में लोग एक दूसरे को पटक देते थे. किताब में कहा गया कि ये सब बाबर को इतना पसंद आया कि उन्होंने खुद के नहाने के कुंड को पूरा रंग से रंगवा दिया था.
आइने अबकितहत में अबुल फजल ने लिखा कि अकबर को होली खेलने इतना पसंद था कि वो इसकी तैयारी के लिए साल भर कुछ ना कुछ चीजे जमा करते थे. जमा की गई चीजों में वो चीजे होती थी जिनसे रंगों की फुहार बहुत दूर तक जा सके. होली का त्योहार अकबर के लिए इतना खास था कि वो इस दिन अपने महल से बाहर आकर हर आम इंसान से मिलते थे.उनके साथ होली खेला करते. वहीं जहांगीर ने होली की ईद से तुलना करते हुए इसे ईद-ए-गुलाबी का नाम दिया था. इसके अलावा होली को आब-ए-पाशी (पानी की बौछार का पर्व) के नाम से भी जाना जाता था. First Updated : Monday, 25 March 2024