Vat Savitri Vrat 2024: शादी के बाद पहली बार रख रही हैं वट सावित्री पूजा तो, इस बातों का रखें ख्याल
Vat Savitri Vrat 2024: इस साल 6 जून को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा. ये पूजा सुहागिन महिलाओं के लिए काफी खास मानी जाती है.
Vat Savitri Vrat 2024: सुहागिन महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए भगवान कामना करती है. पत्नी अपने पति की तरक्की के लिए भी व्रत रखती हैं. ऐसा करने से भगवान की कृपा उनके पति पर सदा के लिए बनी रहती है. महिलाएं पति की लंबी उम्र और कार्य उन्नति के लिए वट सावित्री का व्रत रखती है. मान्यता है कि जो भी शादीशुदा महिला ये उपवास रखती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है.
कब मनाया जाता है?
वट सावित्री व्रत पूजा ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है, जो कि ग्रेगोरियन कैलेंडर में मई और जून के बीच आती है. वहीं इस साल 6 जून को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा. सुहागिन महिलाओं के लिए ये व्रत काफी खास होता है. इस दिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से पूजा करते हुए, सभी नियमों का पालन करती है. कुछ महिलाएं इस दिन निर्जला उपवास भी रखती है और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं.
शादी के बाद पहली बार व्रत रखते हुए कुछ बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है. इसके अलावा पूजा की सही विधि का पालन करना चाहिए. ऐसे में आइए जानते है कि, पहली बार वट सावित्री का व्रत रखते हुए आखिर किस विधि से पूजा करनी चाहिए
पूजा का सही मुहूर्त?
पंचांग के अनुसार देखा जाए तो वट सावित्री व्रत 6 जून को रखा जाएगा. इस दिन पूजा का सही मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. अगर आप शादी के बाद पहली बार ये व्रत रख रही हैं तो पूजा करते समय कुछ बातों पर ध्यान जरूर दें. ऐसा करने से ईश्वर आशर्वाद देगें.
वट सावित्री व्रत में इस विधि से करें पूजा
- वट सावित्री व्रत के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए
- वट सावित्री व्रत वाले दिन लाल रंग की साड़ी पहनें
- इस दिन दुल्हन की तरह 16 श्रृंगार करें
- वट सावित्री व्रत के दिन मुहूर्त के अनुसार साफ-सफाई करके वहां गंगाजल का छिड़काव करें
- पूजा के समय बांस की दो टोकरी में सप्तधान रखें पहली टोकरी में ब्रह्मा जी की मूर्ति रखें
- दूसरी टोकरी में सावित्री-सत्यवान की तस्वीर स्थापित करें
- पूजा करते समय वट वृक्ष की जड़ में जल और कच्चा दूध अर्पित करना चाहिए
- पूजा करते समय चावल के आटे का पीठा जरूर लगाएं
- चावल के आटे का पीठा लगाने के बाद में रोली, अक्षत, पान, फल, सुपारी, फूल, बताशे आदि पूजा सामग्री चढ़ाएं.
- वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करते हुए आप इसपर कच्चा सूत या कलावा लपेटें.
- कच्चा सूत या कलावा लपेटेने के बाद कथा पढ़ें