क्या इस्लाम में रंग खेलने की मनाही है? जानिए कुछ कारण...

इस बार होली मुस्लिम समुदाय के पवित्र रमजान महीने में शुक्रवार के दिन खेली जाएगी. इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा करते हैं. अब प्रशासन होली और जुमे की नमाज के बीच संतुलन बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है. इसी कड़ी में हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि क्या इस्लाम में होली खेलने की मनाही है.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

देश में इस समय होली की धूम चल रही है. पर इस बार होली मुस्लिम समुदाय के पवित्र रमजान महीने में शुक्रवार के दिन पड़ रहा है. वहीं प्रशासन होली और जुमे की नमाज के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है. अब सवाल उठता है कि आखिर मुसलमान होली क्यों नहीं मनाते. क्या इस्लाम में रंग खेलना हराम है?

इस्लाम में होली खेलना जायज नहीं

इसी कड़ी में ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने बोला कि इस्लाम में होली खेलना जायज नहीं है. मुसलमानों को होली में भाग नहीं लेना चाहिए. न ही रंग खेलना चाहिए. वहीं, होली की मुबारकबाद देना मना नहीं है. यह बयान इस सवाल का सीधा जवाब है कि इस्लाम में होली खेलना हराम है.

मौलाना जिशान मिस्बाही ने इस पर कहा कि हर धर्म के अपने रीति-रिवाज और त्योहार होते हैं. होली हिंदू धर्म का पर्व है. हिंदू समुदाय के लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर खुशियाँ मनाते हैं. इस्लाम में रंग खेलना इसलिए मना किया गया है. यह हुड़दंग और शोर-शराबे की स्थिति उत्पन्न करता है, जो इस्लाम के अनुशासन और सादगी के खिलाफ है. होली पर रंगों से कपड़े खराब होते हैं. इसे इस्लाम में अनुचित माना जाता है.

इस्लाम सादगी और शांति का धर्म

मौलाना ओसामा नदवी ने बताया कि नबी मोहम्मद साहब ने दूसरे धर्मों के त्योहारों को मनाने से मना किया था. इससे मुसलमानों की पहचान बनी रहेगी. वे अपने धर्म के अनुयायी बने रहें. नदवी ने कहा कि इस्लाम सादगी और शांति का धर्म है. इसमें रंग खेलने की कोई जगह नहीं है.

इतिहास में कुछ उदाहरण मिले हैं जब मुसलमानों ने होली के त्योहार में हिस्सा लिया. मुगलकाल में अकबर और शाहजहां के समय में मुस्लिम शासकों ने हिंदू समुदाय के साथ होली मनाई थी. दिल्ली के निजामुद्दीन औलिया की दरगाह और यूपी के बाराबंकी स्थित देवा शरीफ में आज भी हिंदू और मुस्लिम मिलकर होली खेलते हैं. इन स्थानों पर रंगों का पर्व सामूहिक रूप से मनाया जाता है.

सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर रंग खेलना परंपरा

सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर भी होली के दिन रंग खेलना एक परंपरा है. हिंदू और मुस्लिम समुदाय मिलकर एक-दूसरे को रंगों से सराबोर करते हैं. यह स्थान सदियों से हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बना हुआ है. हर साल होली के मौके पर विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ होली मनाते हैं. 

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12 March 2025, 06:15 PM IST

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