महाभारत काल की सच्चाई के करीब भारत? पुराना किला बना रहस्य खोलने का केंद्र, खोज में ASI की टीम

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) एक बार फिर महाभारत काल की पौराणिक राजधानी 'इंद्रप्रस्थ' की खोज में जुट गया है, जिसे पांडवों ने खांडवप्रस्थ को बसाकर स्थापित किया था. माना जाता है कि आज का दिल्ली का पुराना किला उसी ऐतिहासिक नगर की जमीन पर बना है. इतिहासकारों और पुरातत्वविदों को उम्मीद है कि इस खुदाई से महाभारत काल की कोई ठोस निशानी जैसे प्राचीन शस्त्र, मिट्टी के बर्तन या मंदिरों के अवशेष सामने आ सकते हैं.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

क्या आपको पता है कि महाभारत काल की वह ऐतिहासिक राजधानी ‘इंद्रप्रस्थ’,जिसे पांडवों ने बसाया था, आज भी हमारे बीच मौजूद हो सकती है? जी हां, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) अब उसी इंद्रप्रस्थ को खोजने के मिशन पर है, जिसे अर्जुन, भीम और युधिष्ठिर ने खांडवप्रस्थ को बसाकर बनाया था. माना जाता है कि आज की दिल्ली का पुराना किला उसी इंद्रप्रस्थ के ऊपर बना है. और अब इतिहास खुद को फिर से उघाड़ने जा रहा है.

दिल्ली का पुराना किला, जहां कभी हुमायूं की मौत हुई थी, अब देश के इतिहास की सबसे बड़ी खोज का केंद्र बन चुका है. इस किले की परतों में क्या छिपा है कोई गांडीव? कोई पांडव कालीन अवशेष? या फिर वो मंदिर, जिनमें कभी कुंती ने पूजा की थी? ASI ने खुदाई का काम फिर से शुरू कर दिया है और इतिहासकारों को यहां से बड़े संकेत मिलने की उम्मीद है.

महाभारत की राजधानी

महाभारत में वर्णन है कि राज्य के बंटवारे के बाद पांडवों को खांडवप्रस्थ नाम की वीरान भूमि मिली थी, जिसे उन्होंने बसा कर इंद्रप्रस्थ में बदला और वहीं से उन्होंने अपना शासन चलाया. इतिहासकारों का मानना है कि यही इंद्रप्रस्थ आज की दिल्ली में स्थित है. खासकर पुराने किले के आस-पास.

क्यों हो रही है पुराने किले में खुदाई?

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने दिल्ली के पुराने किले को इंद्रप्रस्थ की संभावित जगह माना है. यहां खुदाई इस उम्मीद में की जा रही है कि शायद महाभारत काल से जुड़ी कोई ठोस वस्तुएं या संरचनाएं मिल जाएं. इससे पहले भी यहां कई बार खुदाई की जा चुकी है. 1954-55, 1969-73, 2013-14, 2017-18 और आखिरी बार 2023 में.

मुगल स्थापत्य या प्राचीन इंद्रप्रस्थ?

इस किले का निर्माण हुमायूं ने 1533 में शुरू कराया था, जिसे बाद में शेरशाह सूरी ने आगे बढ़ाया और 1555 में फिर हुमायूं ने इसका निर्माण पूरा कराया. लेकिन इतिहासकारों का दावा है कि इससे पहले भी यह स्थान बसा हुआ था और संभवतः यहीं पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी. यही वजह है कि मुगलों के आने से पहले की परतें खोजने के लिए बार-बार खुदाई की जा रही है.

खुदाई में क्या-क्या मिल चुका है अब तक?

पुरानी खुदाई में कई रोचक और ऐतिहासिक चीजें सामने आ चुकी हैं. कुंती मंदिर स्थल पर भगवान विष्णु की 900 साल पुरानी प्रतिमा, 1200 साल पुरानी गजलक्ष्मी की मूर्ति और गणेश जी की मूर्तियां मिल चुकी हैं. ये सभी संकेत करते हैं कि इस जगह पर प्राचीन धार्मिक गतिविधियां हुआ करती थीं और यह स्थान ऐतिहासिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है.

क्या मिलेगा पांडव काल का कोई प्रमाण?

इतिहासकारों को उम्मीद है कि अगर खुदाई में महाभारत काल के कोई अवशेष मिलते हैं. जैसे कि मिट्टी के बर्तन, शस्त्र, या भवनों के अवशेष तो यह एक बड़ा पुरातात्विक और सांस्कृतिक प्रमाण होगा. यह साबित कर सकता है कि दिल्ली का यह इलाका कभी इंद्रप्रस्थ था. वह जगह जहां पांडवों ने राज किया था.

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण

आपको बता दें कि इंद्रप्रस्थ की खोज ना सिर्फ ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे पौराणिक ग्रंथों को आधुनिक प्रमाणों से जोड़ने का काम भी कर सकती है. अब देखना ये है कि ASI की खुदाई में क्या वाकई अर्जुन का गांडीव नहीं तो उसके युग की कोई निशानी सामने आती है?

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05 April 2025, 05:33 PM IST

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