Jagannath Temple : पुरी के जगन्नाथ मंदिर में क्यों की जाती है अधूरी मूर्ति की पूजा, क्या है इसके पीछे का रहस्य?
Jagannath Temple : उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर भारत के चार धामों में से एक माना जाता है। इसके साथ ही हर साल आषाढ माह के शुक्ल पक्ष को जगन्नाथ मंदिर की यात्रा निकाली जाती है।
हाइलाइट
- हर साल की तरह इस साल भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन 20 जून 2023 को किया जायेगा।
Jagannath Temple : हर साल की तरह इस साल भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन 20 जून 2023 को किया जायेगा। इस यात्रा में शामिल होने के लिए लोग देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं। कहा जाता है कि मंदिर में श्री कृष्ण ही जगन्नाथ के रूप में विराजमान है। इतना ही नहीं उसके साथ ज्येष्ठ भाई बलराम और बहन सुभद्रा भी हैं। जिनकी मूर्तियां काष्ठ से बनी हुई हैं और ये आज भी अधूरी हैं इन्हीं अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती है। आखिर अधूरी मूर्तियों की आज भी क्यों की जाती है पूजा ?
जानिए कारण
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि राजा इंद्रद्युम्न पुरी में जगन्नाथ जी का मंदिर बनवा रहे थे। जिसका पूरा कार्य करना शिल्पी विश्वकर्मा को सौंपा था। मूर्ति बनाने से पहले विश्वकर्मा जी ने राजा इंद्रद्युम्न के सामने एक शर्त रखी जिसमें उन्होंने कहा कि मैं यह मूर्ति दरवाजा बंद करके बनाऊंगा और जब तक मूर्ति बनके तैयार नहीं हो जाती तब तक अंदर कोई प्रवेश नहीं करेगा। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि यदि मूर्ति बनाते समय किसी ने भी बीच में ही दरवाजा खोल दिया तो वह मूर्ति को अधूरा ही छोड़ देंगे।
राजा इंद्रद्युम्न ने शिल्पी विश्वकर्मा की शर्त मान ली और मूर्ति बनवाने का कार्य शुरू किया, लेकिन राजा ये जानना चाहते थे कि अंदर मूर्ति बन रही है या नहीं जिसके चलते वह मूर्ति बनाने की आवाज भी सुनते थे। कुछ समय बाद राजा ने दरवाजा खोल दिया इससे नाराज होकर भगवान विश्वकर्मा वहां से अंतर्ध्यान हो गए और भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां अधूरी रह गईं।
उस दिन से ये सभी मूर्तिया इस तरह से मंदिर में विराजमान है और लोगों अधूरी मूर्तियों की पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में अधूरी मूर्ति की पूजा करना बड़ा ही अशुभ माना जाता है लेकिन जगन्नाथ मंदिर में अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती है।