Kalashtami 2024: मासिक कालाष्टमी का दिन हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है. यह हर महीने मनाई जाती है और भगवान काल भैरव को समर्पित होती है. मान्यता है कि इस दिन सच्ची श्रद्धा से भगवान भैरव की पूजा और व्रत रखने से सभी कष्टों का नाश होता है. इस साल की अंतिम मासिक कालाष्टमी 22 दिसंबर 2024 को मनाई जा रही है. भक्त भैरव बाबा की पूजा-अर्चना कर अपने जीवन को सुख-शांति और समृद्धि से भर सकते हैं.
कालाष्टमी पर पूजा विधि
आपको बता दें कि सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें. फिर भगवान भैरव की प्रतिमा के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं. उन्हें फूल, माला, फल और मिठाई अर्पित करें. अंत में भैरव बाबा की आरती गाकर पूजा को संपन्न करें. आरती का पाठ भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा और पुण्य फल प्रदान करता है.
4 शुभ योगों में है मासिक कालाष्टमी
इस साल 22 दिसंबर को मासिक कालाष्टमी के दिन 4 शुभ योग बन रहे हैं:-
इन शुभ योगों में किए गए कार्य विशेष फलदायी होते हैं. त्रिपुष्कर योग में किए गए कार्य तीन गुना लाभ प्रदान करते हैं.
मासिक कालाष्टमी मुहूर्त
भगवान काल भैरव की आरती
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा।
जय काली और गौरा, देवी कृत सेवा।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।
यह आरती भैरव बाबा की कृपा पाने का सशक्त माध्यम है. इसे गाने से भक्तों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं.
भगवान शिव की आरती
जय शिव ओंकारा ऊँ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ऊँ जय शिव...॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ऊँ जय शिव...॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ऊँ जय शिव...॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ऊँ जय शिव...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ऊँ जय शिव...॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ऊँ जय शिव...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ऊँ जय शिव...॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ऊँ जय शिव...॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ऊँ जय शिव...॥
जय शिव ओंकारा हर ऊँ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ऊँ जय शिव ओंकारा...॥
यह आरती शिव भक्तों के लिए विशेष फलदायी मानी जाती है.
(Disclaimer: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं. यहां यह बताना जरूरी है कि हम किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.)
First Updated : Sunday, 22 December 2024