Kalashtami Vrat 2023 : कालाष्टमी व्रत कब है? खुशहाल जीवन के लिए इस मुहूर्त में जरुर कर लें पूजा
Kalashtami Vrat 2023: हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी मनाई जाती है।ऐसा माना जाता है कि आज के दिन काल भैरव की उपासना की जाती है।
हाइलाइट
- इस बार कालाष्टमी का व्रत 13 अप्रैल दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है। हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही लोग कालाष्टमी को पूरे सच्चे मन के साथ मानाते हैं।
इस बार कालाष्टमी का व्रत 13 अप्रैल दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है। हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को लोग कालाष्टमी का पर्व पूरे सच्चे मन से मनाते हैं। कहा जाता है कि जब भी कालाष्टमी आती है उस दिन भगवान शंकर के भैरव स्वरुप की उपासना की जाती है।
अधिकतर लोग ऐसे है जो भैरव के रुपों के बारे में नहीं जानते हैं।आपको बता दें कि भैरव के तीन स्वरुप माने जाते हैं। जिन्हें काल भैरव ,बटुक भैरव और रूरू भैरव के नाम से दुनिया में जाना जाता है। कहते है कि यदि आज के दिन कोई भी व्यक्ति भगवान शंकर के काल भैरव के स्वरुप की पूजा-अर्चना करते हैं उनके जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं।
इसके साथ ही यदि आप लोग व्रत रखकर और सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं, तो कहा जाता है जो भी व्यक्ति आज के दिन कुछ भी मांगता है, तो भगवान भैरव उनकी मनोकामना जरुर पूरी करते हैं। वैशाख कालाष्टमी 13 अप्रैल 2023 गरुवार यानी की आज मनाया जा रहा है।
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में किसी भी प्रकार का कोई भी दोष होता है जैसे- राहु और केतु इस तरह के दोषों को दूर करने के लिए कालाष्टमी के दिन यानी आज काल भैरव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने से आपकी कुंडली के सभी प्रकार के दोष दूर होने लगेंगे।
जानें मुहूर्त
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 56 मिनट से – दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक अमृत काल –सुबह 06 बजकर 10 मिनट से – सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक होगा।
पूजा की विधि
कालाष्टमी के दिन सबसे पहले आप स्नान कर लें उसके बाद भगवान भैरव की पूजा करें। आज के दिन भगवान भोलेवाथ के साथ माता पर्वती की और भगवान गणेश की भी पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं और भगवान की सच्चे मन से आरती करें। साथ ही भगवान को जो चीज अधिक प्रिय है उसी का भोग लगाएं।