इस दिन हो जाएगा कलयुग का अंत! जगन्नाथ मंदिर में मिले महाविनाश के संकेत
End of Kaliyuga: भारत के प्राचीन ग्रंथ और भविष्यवाणियां हमेशा से लोगों के बीच उत्सुकता का विषय रही हैं. इन्हीं में से एक है भविष्य मालिका पुराण है जिसमें भविष्य के घटनाक्रम के बारे में भविष्यवाणी की गई है. इसमें कलियुग के अंत और महाविनाश से जुड़े कई संकेतों का भी जिक्र किया गया है. आश्चर्यजनक बात यह है कि इनमें से कई भविष्यवाणियां सच होती नजर आई हैं.
Kaliyuga End Prediction: जब भी कलियुग के अंत की बात होती है, तो प्राचीन ग्रंथों और पुराणों का जिक्र स्वाभाविक है. इन्हीं में से एक है 'भविष्य मालिका पुराण ' है जिसमें कई ऐसी भविष्यवाणियां दर्ज हैं. इस पुराण में दर्ज हुई भविष्यवाणी समय के साथ सच साबित होती रही हैं. खासकर, जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी घटनाओं और संकेतों को लेकर यह ग्रंथ चर्चा का विषय बना हुआ है. हाल के वर्षों में मंदिर परिसर में घटी कई घटनाओं को दुनिया के महाविनाश के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.
भविष्य मालिका में लिखा गया है कि जब कलयुग अपने चरम सीमा पर पहुंचेगा, तो कई असाधारण घटनाएं होंगी, जो महाविनाश की ओर इशारा करेंगी. भगवान जगन्नाथ के मंदिर में घटी कुछ अप्रत्याशित घटनाओं को इन भविष्यवाणियों से जोड़कर देखा गया है. तो चलिए जानते हैं कब-कब कलयुग खत्म होने के संकेत मिले हैं.
त्रिदेव के वस्त्र में आग लगना
भविष्य मालिका पुराण के अनुसार, जब जगन्नाथ मंदिर के त्रिदेवों के वस्त्र में आग लगेगी, तो यह कलयुग के अंत का संकेत होगा. यह घटना वास्तव में कुछ साल पहले हुई थी. त्रिदेवों के वस्त्र में अचानक आग लगने के बाद, यह चर्चा जोर पकड़ने लगी कि यह दुनिया के विनाश की शुरुआत हो सकती है.
झंडे में आग लगने की घटना
9 मार्च 2020 को पापनाशक एकादशी के दिन जगन्नाथ मंदिर के झंडे में आग लग गई. यह घटना तब हुई, जब हवा में उड़ता झंडा जलते दीपक के संपर्क में आ गया. भविष्य मालिका पुराण में झंडे में आग लगने की घटना का जिक्र पहले से मिलता है. इस घटना के बाद लोगों ने इसे महाविनाश के संकेत के रूप में लिया.
गुंबद पर गिद्ध और चील का बैठना
जगन्नाथ मंदिर के गुंबद पर पक्षियों का बैठना दुर्लभ माना जाता है. लेकिन जुलाई 2020 के बाद से गिद्ध, चील और बाज जैसे पक्षियों को गुंबद और नीलचक्र पर बैठते हुए देखा गया. यह घटना भी भविष्यवाणियों के अनुसार कलियुग के चरम और महाविनाश के करीब होने का संकेत देती है.
नीलचक्र का झुकना
भविष्य मालिका में लिखा गया है कि जब मंदिर का नीलचक्र झुक जाएगा, तो यह अंत की ओर बढ़ने का संकेत होगा. 2019 के फानी तूफान के दौरान नीलचक्र टेढ़ा हो गया था. इसे ठीक करने की कोशिश की गई, लेकिन यह अपने मूल स्वरूप में वापस नहीं आ सका. नीलचक्र का झुकना भी कलयुग के अंत का संकेत हैं.
गुंबद से पत्थर गिरना
भविष्य मालिका पुराण में उल्लेख है कि जब मंदिर के गुंबद से पत्थर गिरने लगेंगे, तो यह महाविनाश का बड़ा संकेत होगा. 1842 से अब तक 15 से अधिक बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं. इन इन सभी घटनाओं को कलयुग की चरम सीमा और संभावित महाविनाश के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.
क्या ये महाविनाश के संकेत हैं या मात्र संयोग? यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इन घटनाओं ने भविष्य मालिका को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है. हालांकि ये संकेत कई सारे सवाल खड़े कर रहे हैं.