Kawad Yatra 2023: शुभ कांवड़ यात्रा जिसे कांवड़ यात्रा का मेला भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण मानी जाती है यह यात्रा भगवान शिव के प्रेमी और भक्तों द्वारा निकाली जाती है. जहां पर वह भोलेनाथ के लिए जल से भरे कांवड़ को लेकर पहाड़ों पर चढ़ाई करते हैं
इसे पवित्र मास सावन के दौरान किया जाता है. जो आमतौर पर हिंदू कैलेंडर के अनुसार जुलाई या अगस्त में आता है. कांवड़ यात्रा करते समय कई लोगों के मन से सवाल आता होगा कि आखिर कांवड़ यात्रा क्यों की जाती है? किस ने सबसे पहले इसकी शुरुआत की थी. यदि आपके मन में भी इसी तरह का कोई भी सवाल है तो आज हम आपके सभी सवालों का जबाव देंगे.
कांवड़ यात्रा के दौरान पहले कावड़िया शायद महर्षि दाधीचि हैं, जिन्होंने अपने तपश्चर्या के दौरान कावड़ लेकर यात्रा की थी. यहां तक कि पुराणों में कहा जाता है कि पहले से ही ऋषि-मुनियों द्वारा शिव मंदिरों में जल चढ़ाने की परंपरा शुरू की गई थी. तभी से इस यात्रा की शुरुआत हो गई और हर साल भगवान शिव के भक्त भारी संख्या में दूर-दूर से इस यात्रा में शामिल होने आते हैं.
सावन मास में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने का विशेष विधान माना गया है. साथ ही कहा जाता है कि जो व्यक्ति भगवान शिव की उपासना और कांवड़ यात्रा करते हैं उनसे भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. First Updated : Tuesday, 04 July 2023