श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ की भक्ति में लीन हो कर केदारनाथ जा रहे थे। वहीं कुछ दर्शन के बाद वापस लौट रहे थे, तभी एक प्रलय ने सभी की जिंदगी पूरी तरह पलट दिया।
वर्ष 2013 को केदारनाथ धाम में अचानक बादल फटे और कई घर तबाह हो गए। लोगों को ऐसा लग रहा था मानो भगवान शिव की तीसरी आंख खुल गई हो। जिसमें सब कुछ भस्म हो गया।
16-17 जून को 2013 को आई इस आपदा में हजारों लोगों की मौत हो गई। इस आपदा का असर पूरे उत्तराखंड में देखने को मिला। बाढ़, भूस्खलन जैसे तबाही के मंजर लोगों के सामने थे।
केदारनाथ आपदा के बाद पहले की तरह स्थिति करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने कई प्रयास किए। यही कारण है कि आज केदारनाथ मंदिर का स्वरूप पूरी तहर बदल गया है।
केदारनाथ मंदिर की चढ़ाई के लिए रास्तों को पहले से चौड़ा और पक्का बना दिया गया है। हर साल मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
केदारनाथ आपदा के दैरान मंदाकिनी नदी का विकराल रूप देखने को मिला। उस सौलाब में घर, रेस्टोरेंट और हजारों लोग बह गए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस आपदा में करीब 4700 श्रद्धालुओं के शव बरामद हुए थे।
वर्तमान में केदारनाथ धाम के हाल पहले से बहुत अच्छे हो गए हैं। मंदिर के चारों ओर त्रिस्तरीय सुरक्षा दीवार बनाई गई है। साथ ही मंदाकिनी और सरस्वती नदी पर बाढ़ सुरक्षा के काम किए गए हैं।