Lord Vishnu Temple: उत्तराखंड में ऐसे कई मंदिर हैं जहां पर प्राचीन समय से पूजा की जाती है. साथ ही उस मंदिर की मान्यता भी है कि वहां पर लोग दूर-देश विदेश से दर्शन के लिए आते हैं इतना ही नहीं कहा जाता है ये मंदिर भगवान विष्णु का है लेकिन यहां पर यदि माता चंडिका की पूजा नहीं की गई तो वह पूजा सफल नहीं मानी जाती है. इसीलिए इस मंदिर की मान्यता काफी बड़ी मानी जाती है. ऐसा कहा जाता है कि यदि यहां पर कोई स्त्री या पुरुष आते हैं तो उनकी सभी इच्छा मां चंडिका और भगवान विष्णु पूरी करते हैं.
मंदिर के पुजारी प्रदीप गैरोला बताते है कि यह मंदिर मूल रूप से गोविंद मठ है और यहां भगवान विष्णु से संबंधित प्रतिमाएं हैं. भगवान विष्णु यहां चतुर्भुज रूप से शंख चक्र धारण किए हुए हैं. साथ ही मंदिर में भगवान विष्णु गरुण पर पूरब की ओर विराजमान हैं. मंदिर मे बैकुंठ विष्णु मंदिर भी स्थित है. जिसमें की भगवान विष्णु गरुण पर पूरब की ओर विराजमान हैं. मंदिर में बैकुंठ विष्णु मंदिर भी स्थित है. जिसमें भगवान विष्णु के तीन अवतार मौजूद हैं.
इस मंदिर के पुजारी का कहना है कि मंदिर प्रांगण में स्थित मां चंडिका की प्रतिमा भी बेहद अनोखी है. यह मूर्ति 18वीं सदी में पिंडर नदी में बहकर यहां आई थीं.
तब से यह स्थान मां चंडिका को दिया गया है. लेकिन इस मंदिर में दोनों देवी–देवाओं का पूजा करने का विशेष प्रवधान है. यह मंदिर उत्तराखंड का काफी प्राचीन और बड़ा माना जाता है. यहां पर हर जगह के लोग माता चंडिका और भगवान विष्णु के दर्शन और पूजा –पाठ करने के लिए भारी संख्या में आते हैं. First Updated : Monday, 09 October 2023