Mahabharat Katha: श्रीकृष्ण के श्राप से आज भी जिंदा हैं महाभारत के अश्वत्थामा, जानें पूरी कहानी

महाभारत का युद्ध केवल कौरवों और पांडवों के बीच की लड़ाई नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा धर्मयुद्ध था जिसने न सिर्फ द्वापर युग में बल्कि आज भी हमें जीवन के कई महत्वपूर्ण संदेश दिए हैं. यह युद्ध महज युद्ध नहीं था, बल्कि एक प्रतीक था सत्य, धर्म, और न्याय की जीत का.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

महाभारत के महानायक और द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा की कहानी एक रहस्यमय मोड़ लेती है. महाभारत के युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने उन्हें एक ऐसा श्राप दिया था, जिससे अश्वत्थामा आज भी अमर हैं. यह श्राप न केवल उनकी निंदा का कारण बना, बल्कि उनकी अविश्वसनीय यात्रा और अमरता के रहस्यों को भी जन्म दिया.

महाभारत के युद्ध के बाद, जब कौरवों का अंत हुआ, अश्वत्थामा ने अपनी संजीवनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए पांडवों को निशाना बनाने का प्रयास किया. उन्होंने रात के अंधेरे में पांडवों के शिविर पर हमला किया और उनके बच्चों की हत्या कर दी. इस घिनौने कृत्य को देखकर श्रीकृष्ण ने उन्हें कठोर श्राप दिया. श्रीकृष्ण ने कहा कि अश्वत्थामा को अपनी मृत्यु तक कभी शांति या सुख नहीं मिलेगा, और वह दुनिया भर में भटकते रहेंगे.

अश्वत्थामा का अमरता का श्राप

श्रीकृष्ण के श्राप के कारण अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं, लेकिन उनके जीवन में शांति का कोई स्थान नहीं है. कहा जाता है कि वह हमेशा दर्द, पीड़ा और तड़प में हैं. अश्वत्थामा का शरीर आज भी सड़ा-गला है, लेकिन उनकी आत्मा अमर है. उन्हें हर जगह घृणा, अपमान और दुख ही मिलता है. वह मानव रूप में पृथ्वी पर भ्रमण करते रहते हैं, लेकिन किसी से संपर्क नहीं करते.

अश्वत्थामा की रहस्यमय यात्रा

कई पुरानी कथाएं यह भी बताती हैं कि अश्वत्थामा समय-समय पर कुछ महान हस्तियों से मिलते हैं, जिनसे वे अपनी पीड़ा और जीवन के बारे में बात करते हैं. ऐसा माना जाता है कि उन्होंने कई संतों से शिक्षा ली और उन पर आशीर्वाद प्राप्त किया.

अश्वत्थामा का युद्ध और श्राप

अश्वत्थामा की कहानी न केवल महाभारत के युद्ध के बाद की एक रहस्यमय घटना है, बल्कि यह उस समय की धार्मिक और दार्शनिक समझ को भी उजागर करती है कि कैसे एक व्यक्ति का कर्म और श्राप उसे शाश्वत रूप से प्रभावित कर सकता है.

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21 March 2025, 09:04 PM IST

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