धर्म, साधना और आस्था...मकर संक्रांति से प्रयागराज में दिखेगा अद्भुत संगम, जानिए क्या होगा खास

Mahakumbh 2025: प्रयागराज में 12 साल बाद महाकुंभ का मेला लगने जा रहा है जिसको लेकर सनातनियों में बेहद उत्साह देखने को मिल रहा है.  यह पर्व सिर्फ धार्मिक आस्था का महोत्सव नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और आत्मज्ञान का प्रतीक है. इस मेले की भव्यता की छटा को निहारने के लिए लाखों लोग प्रयाग राज आ रहे हैं. तो चलिए जानते हैं कि इस बार के महाकुंभ में क्या क्या खास होने वाला है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 का आयोजन एक ऐसे दौर में हो रहा है, जहां टेक्नोलॉजी के मामले में पहले के आयोजनों से कहीं आगे बढ़ चुके हैं. यह पर्व सिर्फ धार्मिक आस्था का महोत्सव नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और आत्मज्ञान का प्रतीक है. महाकुंभ का आयोजन सनातन धरोहर को जागृत करने का एक अद्भुत अवसर है, जो आस्था, मोक्ष और ज्ञान का संगम है.

यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसमें विश्वास किया जाता है कि देवताओं और राक्षसों के बीच हुए युद्ध में अमृत की चार बूँदें पृथ्वी पर गिरी थीं, जिनमें से एक बूँद प्रयागराज में गिरी. तभी से हर 12 साल में महाकुंभ का मेला लगता है. इस मेले में लाखों श्रद्धालु पुण्य लाभ के लिए संगम में डुबकी लगाते हैं, जो भारतीय संस्कृति की अमिट धरोहर है. तो चलिए जानते हैं कि इस बार क्या खास होने वाला है.

नागा संन्यासियों और किन्नर संन्यासियों का होगा विशेष आकर्षण

महाकुंभ में नागा संन्यासियों का जप-तप और उनका धर्म के प्रति समर्पण श्रद्धालुओं के बीच कौतूहल का केंद्र रहेगा. इसके अलावा किन्नर संन्यासी भी महाकुंभ का हिस्सा बनेंगे और भजन-पूजन करेंगे, जिनका दर्शन लेने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटेंगे.  

अखाड़े और योगियों का अद्भुत वैभव

महाकुंभ में 13 अखाड़े भाग लेंगे, जिनमें 15 लाख से अधिक संत जप-तप में लीन रहेंगे. दंडी संन्यासियों की तपस्या, वैष्णव संतों का त्याग, और योगी संतों का योग श्रद्धालुओं को आकर्षित करेंगे. इसके साथ ही कल्पवासियों की साधना संगम की रेती पर अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करेगी.

प्राचीन अक्षयवट और हनुमान जी का दर्शन

श्रद्धालुओं को यमुना तट पर स्थित किले के अंदर प्राचीन अक्षयवट वृक्ष के दर्शन का सौभाग्य मिलेगा. इसके अलावा, बांध स्थित लेटे हनुमान जी का दर्शन-पूजन भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष होगा. इन स्थानों पर विशेष कॉरिडोर का निर्माण किया गया है ताकि श्रद्धालुओं को दर्शन में कोई कठिनाई न हो.  

महर्षि भरद्वाज का आश्रम और माधव मंदिरों का जीर्णोद्धार

महर्षि भरद्वाज का आश्रम भी महाकुंभ के आकर्षण में शामिल होगा, जहां प्राचीनता के साथ आधुनिकता का अहसास होगा. इसके अलावा, द्वादश माधव मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया गया है, और इन मंदिरों के दर्शन-पूजन के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं.  

महाकुंभ 2025 के मुख्य स्नान पर्व और शाही स्नान की तिथियां

महाकुंभ 2025 के मुख्य स्नान पर्वों पर श्रद्धालु पुण्य लाभ अर्जित करने के लिए संगम में स्नान करेंगे. इन प्रमुख स्नान पर्वों और शाही स्नान की तिथियां निम्नलिखित हैं:-

- पौष पूर्णिमा - 13 जनवरी 2025 (सोमवार)  

- मकर संक्रांति - 14 जनवरी 2025 (मंगलवार, शाही स्नान)  

- मौनी अमावस्या - 29 जनवरी 2025 (बुधवार, शाही स्नान)  

- बसंत पंचमी - 3 फरवरी 2025 (सोमवार, शाही स्नान)  

- माघी पूर्णिमा - 12 फरवरी 2025 (बुधवार)  

- महाशिवरात्रि - 26 फरवरी 2025 (बुधवार)  

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04 January 2025, 09:54 AM IST

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