Mahakumbh 2025: शाही स्नान से पहले नागा साधु करते हैं ये 17 श्रृंगार, जानिए क्या है महत्व
Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में होने जा रहा है. यहां लाखों श्रद्धालु संगम में पवित्र डुबकी लगाने के लिए जुटेंगे. इस दौरान नागा साधु का शाही स्नान बेहद खास होता है जो आकर्षण का केंद्र बन जाता है. उनके जीवन शैली और पहनावा लोगों को हैरान कर देता है. नागा साधु अपनी आध्यात्मिक यात्रा और साधना के प्रतीक के रूप में शाही स्नान से पहले 17 विशेष श्रृंगार करते हैं.
महाकुंभ 2025 का आयोजन इस साल प्रयागराज में होने जा रहा है, जहां लाखों श्रद्धालु संगम में पवित्र डुबकी लगाने आएंगे. इस दौरान नागा साधु भी आकर्षण का केंद्र होते हैं, क्योंकि उनका जीवन और उनका पहनावा खासतौर पर लोगों के लिए हैरान कर देने वाला होता है. नागा साधु संसार के मोह-माया से दूर होते हुए भी शाही स्नान में जाने से पहले 17 विशेष श्रृंगार करते हैं. आज हम आपको इसी श्रृंगार के बारे में बताने जा रहे हैं तो चलिए जानते हैं.
ये श्रृंगार उनके धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का हिस्सा हैं. यह श्रृंगार उनकी आध्यात्मिक यात्रा और साधना के प्रतीक होते हैं. इन श्रृंगारों में कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाता है जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं. बता दें कि प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ का भव्य आयोजन शुरू होगा, और 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन पहला शाही स्नान होगा.
नागा साधु के 17 श्रृंगार
1. भभू
2. लंगोट
3. चंदन
4. पैरों में कड़ा (चांदी या लोहे का)
5. पंचकेश
6. अंगूठी
7. फूलों की माला (कमर में बांधने के लिए)
8. हाथों में चिमटा
9. माथे पर रोली का लेप
10. डमरू
11. कमंडल
12. गुथी हुई जटा
13. तिलक
14. काजल
15. हाथों का कड़ा
16. विभूति का लेप
17. रुद्राक्ष
आपको बता दें कि महाकुंभ के दौरान, नागा साधुओं की दीक्षा 12 साल के कठिन तप के बाद पूर्ण होती है. कहा जाता है कि नागा साधु तब ही संगम में डुबकी लगाते हैं जब उनकी साधना पूरी हो जाती है और वे शुद्ध होते हैं. इसके विपरीत, आम लोग गंगा में डुबकी लगाने के बाद शुद्ध होते हैं.