Mahakumbh 2025: संगम की रेती पर उतरा अखाड़ों का राजसी वैभव, तलवार-त्रिशूल लहराते पहुंचे नागा संन्यासी

Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 में संगम घाट का नज़ारा अद्भुत और राजसी रहा. हजारों साल पुरानी परंपरा के गवाह बने श्रद्धालु, जब मकर संक्रांति के पुण्य अवसर पर नागा संन्यासियों और साधु-संतों ने अस्त्र-शस्त्र के साथ अमृत स्नान किया. संगम क्षेत्र हर-हर महादेव और बोल बम के जयकारों से गूंज उठा.  

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 में संगम घाट पर अद्भुत और राजसी नज़ारा देखने को मिला. मकर संक्रांति के पुण्य अवसर पर हजारों साल पुरानी परंपरा के तहत नागा संन्यासियों और साधु-संतों ने अस्त्र-शस्त्र के साथ अमृत स्नान किया. संगम क्षेत्र हर-हर महादेव और बोल बम के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान, श्रद्धालु अपनी आस्था और भक्ति में खोए हुए थे, और पूरे क्षेत्र में धार्मिक उल्लास छाया हुआ था. जुलूस में नागा संन्यासी तलवार-त्रिशूल लहराते हुए चल रहे थे, और संगम घाट पर भव्यता का अनोखा दृश्य था, जो महाकुंभ के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता था.

अखाड़ों का राजसी जुलूस  

मंगलवार को श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के संत और पदाधिकारी सबसे पहले स्नान के लिए पहुंचे. धर्मध्वजा को थामे नागा संन्यासी जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे. उनके साथ रथों और घोड़ों पर सवार आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, और अन्य पदाधिकारी शामिल थे. अखाड़े के ईष्ट देव भगवान कपिल और आदि गणेश पालकी में विराजमान थे.

घाट पर हुआ विधि-विधान से स्नान  

संगम घाट पर पहले ईष्ट देव की पूजा और स्नान कराया गया। इसके बाद नागा संन्यासियों ने संगम में डुबकी लगाई. स्नान के बाद संन्यासियों ने शरीर पर भभूत लपेटी और करतब दिखाए. श्रद्धालुओं ने हठ योग क्रिया और नागा संन्यासियों के अद्भुत करतबों का आनंद लिया.  

कबीर पंथियों ने बढ़ाया आकर्षण  

संगम तट पर जूना अखाड़े के साथ कबीर पंथी भी स्नान करने पहुंचे। उनके समूह ने कबीर वाणी गाते हुए श्रद्धालुओं का ध्यान खींचा.  

श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब  

13 जनवरी से शुरू हुए स्नान पर्व में करोड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया. 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर चार करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने अमृत स्नान किया. संगम नोज पर हर घंटे तीन लाख से अधिक श्रद्धालु डुबकी लगाते रहे.

अस्थायी घाटों का निर्माण  

संगम नोज पर 26 हेक्टेयर क्षेत्र में बालू की बोरियां लगाकर अस्थायी घाट बनाए गए, जिससे श्रद्धालुओं को सुगम स्नान की सुविधा मिली. महाकुंभ 2025 का यह राजसी और पवित्र नज़ारा हर किसी के लिए यादगार रहेगा. नागा संन्यासियों के साहस, परंपरा, और उत्साह ने संगम की रेती पर इतिहास रच दिया.  

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15 January 2025, 08:47 AM IST

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