Navami Kanya Pujan: नवरात्रि के नौवें यानी अंतिम दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. लेकिन, इस बार तिथियों को लेकर थोड़ा कंफ्यूजन बना हुआ है क्योंकि, अष्टमी और नवमी दोनों एक ही दिन पड़ रहे हैं.दरअसल, नवरात्रि के आरंभ से ही एक ही दिन में दो तिथियां लग रही हैं. कहा जाता है कि जब अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ती है, तो ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि की आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ जाती है. ऐसा मानना है कि इस दिन व्रत रखने या अनुष्ठान करने से देवी दुर्गा प्रसन्न होती है और आशीर्वाद देती हैं.
इस साल नवमी तिथि 11 अक्टूबर, शुक्रवार को है और कन्या पूजन भी उसी दिन मनाया जाएगा. अष्टमी और नवमी: तिथि और समय अष्टमी और नवमी का यह दुर्लभ संयोग चंद्र कैलेंडर की तिथियों के ओवरलैप होने के कारण होता है. इन शुभ दिनों के लिए मुख्य समय निम्नलिखित हैं.
अष्टमी- शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024
अष्टमी तिथि- 10 अक्टूबर को दोपहर 12:31 बजे से अष्टमी तिथि शुरू होगी जो समाप्त अगले दिन 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर खत्म होगी.
नवमी तिथि- अष्टमी तिथि के समापन के साथ ही नवमी तिथि शुरू हो जाएगी. नवमी तिथि की शुरुआत 11 अक्टूबर को दोपहर 12:06 बजे से शुरू होगी जो अगले दिन यानी 12 अक्टूबर 2024 को सुबह 10:58 बजे समाप्त होगी.
नवमी कन्या पूजन: नवमी तिथि का कन्या पूजन आप 11-12 अक्टूबर के सुबह 10 बजकर 59 मिनट से पहले पहले कर सकते हैं.
अष्टमी कन्या पूजन- वहीं जो लोग अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं वो 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 7 मिनट से पहले पहले कर लें तो शुभ रहेगा.
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. शास्त्रों में नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन करने की भी विशेष महत्व बताया गया है. दरअसल, कन्याओं को देवी का स्वरूप माना गया है इसलिए नवरात्रि के अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन करने का विधान है. 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की आयु की कन्याओं को घर बुलाकर कन्या पूजन किया जाता है. धार्मिक मान्यता है की भक्ति भाव से माता रानी की पूजा करने और कन्या पूजन से मां अपने भक्तों पर हमेशा मेहरबान रहती है और सभी मनोकामनाएं पूरी करती है.
1. कन्या पूजन के लिए सबसे पहले कन्याओं को अपने घर बुलाने के लिए निमंत्रण दें.
2. उसके बाद कन्याओं के आगमन पर सबसे पहले साफ पानी से उनके चरणों धोएं और उसके बाद उनका श्रृंगार करें.
3. इसके बाद कन्याओं को रक्षा सूत्र बांधे, उन्हें टीका लगाए और आसन पर बैठाया.
4. कन्या पूजन के लिए 2 से 10 वर्ष तक की कन्याओं का चयन करें.
5. अगर 9 कन्याएं न मिल पाए, तो 1, 3, 5, या 7 कन्याओं का भी पूजन कर सकते हैं.
6. कन्याओं को पूरी, हलवा, चना, मिठाई, फल आदि का भोजन कराएं.
7. भोजन कराते समय यह ध्यान रखें कि सभी कन्याओं को भोजन सामग्री बराबर मात्रा में दें.
8. भोजन के बाद उन्हें जल, मिठाई और नारियल देना बिल्कुल न भूलें.
9. कन्याओं को विदाई के समय उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें भेंट के रूप में पैसे, चूड़ियां, खिलौने, किताबें या अन्य चीजें भी दे सकते हैं. First Updated : Thursday, 10 October 2024