नवरात्रि का दूसरा दिन आज, इस मंत्र का करें जाप, मातारानी का मिलेगा आशीर्वाद
Navratri 2024 Mantra, Aarti: आज शारदीय नवरात्रि का आज दूसरा दिन है. पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. आज हम आपको नवदुर्गा मंत्र और मां दुर्गा की आरती के बारे में बता रहे हैं. मां दुर्गा की कृपा आपके पूरे परिवार पर होगी. आपको शारदीय नवरात्रि की शुभकामाएं. इस मंत्र को पढ़ने से माता रानी खुश रहती हैं इसके साथ ही सुख-समृद्धी देती हैं.
Navratri 2024 Mantra, Aarti: आज शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन है, नवरात्री में मातारानी के 9 स्वरुप की पूजा की जाती है. पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. को वहीं दूसरे दिन मां ब्रह्माचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया. इस कारण मां को ब्रह्मचारिणी एवं तपस्चारिणी कहा गया है.
पूजा के समय में नवदुर्गा के मंत्रों का जाप करते हैं और मां दुर्गा की आरती की जाती है. आज हम आपको नवदुर्गा मंत्र और मां दुर्गा की आरती के बारे में बता रहे हैं, जो आपके लिए कल्याणकारी और शुभ फलदायी होगा. मां दुर्गा की कृपा आपके पूरे परिवार पर होगी, जिससे सुख और शांति आएगी. आपको और आपके पूरे परिवार को शारदीय नवरात्रि की शुभकामाएं!
मां ब्रह्मचारिणी पूजा तिथि और मुहूर्त
वैदिक पंचाग के अनुसार, नवरात्रि की द्वितीया तिथि की शुरुआत 4 अक्टूबर 02 बजकर 58 मिनट पर हो जाएगी और तिथि का समापन 5 अक्टूबर 05 बजकर 30 मिनट पर होगा. मां ब्रहमचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. इसमें मातरानी की सच्चे मन से पूजा करें.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
शारदीय नवरात्री के दूसरे दिन मां ब्रहाचारिणी की पूजा करने के लिए सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त पर उठकर स्नान कर लें. पूजा करने के लिए सबसे पहले आसन बिछाएं इसके बाद आसन पर बैठकर मां की पूजा करें. माता को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं. ब्रह्मचारिणी मां को भोगस्वरूप पंचामृत चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं. साथ ही माता को पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें. फिर देवी ब्रह्मचारिणी मां के मंत्रों का जाप करें और फिर मां की आरती करें.
मां ब्रह्माचारिणी पूजा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम।।
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।