महर्षि वाल्मीकि ने नहीं, बल्कि हनुमान जी ने लिखी थी पहली रामायण! जानिए पूरी सच्चाई

रामायण का पहला लेखक महर्षि वाल्मीकि नहीं, बल्कि स्वयं हनुमान जी थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी ने अपने नाखूनों से शिलाओं पर राम कथा लिखी थी, जो अत्यंत दिव्य और प्रभावशाली थी. जब महर्षि वाल्मीकि ने कैलाश पर्वत पर हनुमान जी की रामायण देखी, तो वे आश्चर्यचकित रह गए और अपनी रचना को छोटी समझने लगे.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

जब भी रामायण की बात होती है, तो सबसे पहला नाम महर्षि वाल्मीकि का आता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे पहली रामायण महर्षि वाल्मीकि ने नहीं, बल्कि स्वयं बजरंगबली हनुमान जी ने लिखी थी? यह जानकर शायद आपको यकीन न हो, लेकिन शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है. हनुमान जी ने अपने नाखूनों से राम कथा लिखी थी, जो बाद में समुद्र में विसर्जित कर दी गई. आइए, जानते हैं इस रोचक कथा के पीछे की पूरी कहानी.  

सबसे पहले किसने लिखी थी रामायण  

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब हनुमान जी ने श्रीराम के चरणों में अटूट भक्ति भाव रखते हुए रामायण लिखी, तो वह अद्भुत और दिव्य थी. उन्होंने अपने नाखूनों से शिलाओं पर राम कथा अंकित की थी. यह कथा इतनी प्रभावशाली और विस्तृत थी कि स्वयं देवताओं ने भी इसे सराहा.  

महर्षि वाल्मीकि पहुंचे कैलाश पर्वत  

जब महर्षि वाल्मीकि ने अपनी रामायण पूरी की, तो वे भगवान शिव को अर्पित करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे. वहां उन्होंने हनुमान जी द्वारा लिखी गई रामायण देखी, जो अत्यंत दिव्य और प्रभावशाली थी. इसे पढ़कर वाल्मीकि जी दंग रह गए और उन्हें अपनी रचना छोटी लगने लगी.  

हनुमान जी की रामायण थी सर्वश्रेष्ठ  

वाल्मीकि जी ने जब हनुमान जी की लिखी हुई रामायण पढ़ी, तो उन्होंने माना कि यह उनकी रामायण से कहीं अधिक श्रेष्ठ है. उन्होंने हनुमान जी की भक्ति और लेखनी की भूरि-भूरि प्रशंसा की.  

रामायण को समुद्र में फेंक दिए थे हनुमान जी

हनुमान जी ने देखा कि महर्षि वाल्मीकि की आंखों में आंसू आ गए हैं. वे उनकी भावना को समझ गए और सोचा कि यदि रामायण का समाज पर प्रभाव डालना है, तो इसे सरल भाषा में होना चाहिए. इसलिए उन्होंने अपनी रामायण को समुद्र में विसर्जित कर दिया, ताकि वाल्मीकि जी की रामायण जन-जन तक पहुंच सके.  

हनुमान जी की भक्ति और त्याग 

यह कथा हनुमान जी की अपार भक्ति और त्याग को दर्शाती है. उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण श्रीराम की सेवा और उनके भक्तों का कल्याण था. यही कारण है कि हनुमान जी को अनन्य भक्त और भगवान का सबसे प्रिय सेवक माना जाता है.  

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02 April 2025, 12:47 PM IST

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