ॐ लोक आश्रम: मन पर नियंत्रण कैसे हो? भाग-3
भगवान कृष्ण कहते हैं कि जो बाकी लोगों के लिए रात है वो योगी के लिए दिन है। आप जीवन में सफलता पाना चाहते हो आगे बढ़ना चाहते हो तो जब लोग आराम से चैन से सो रहे हों अर्थात् इन्द्रियों के पीछे दौड़ रहे हों।
हाइलाइट
- ॐ लोक आश्रम: मन पर नियंत्रण कैसे हो? भाग-3
भगवान कृष्ण कहते हैं कि जो बाकी लोगों के लिए रात है वो योगी के लिए दिन है। आप जीवन में सफलता पाना चाहते हो आगे बढ़ना चाहते हो तो जब लोग आराम से चैन से सो रहे हों अर्थात् इन्द्रियों के पीछे दौड़ रहे हों। आपको लगेगा कि मेरा दोस्त तो बड़े मजे ले रहा है वो आज मूवी देखने गया था। आज वो यहां गया था आज वो वहां गया था। उसने पार्टी कर ली और मैं यहां बैठकर पढ़ाई कर रहा हूं।
ऐसी अवस्था में एक योगी में और एक भोगी में यही अंतर होता है। जो सामान्य व्यक्ति है वो इन्द्रियों के पीछे दौड़ता है वो मजे के पीछे दौड़ता है और जो कर्मयोगी है जिसे जीवन में सफलता पानी है जिसे अपने जीवन में आगे बढ़ना है वो अपने कर्तव्य में लगा रहता है। वो उसी में आनंद प्राप्त करता है वो मन को नियंत्रित करता है। जिस तरह कछुआ अपने अंगो को अंदर कर लेता है उसी तरह अपनी पढ़ाई में लगा हुआ व्यक्ति, अपने खेल में अपने कर्तव्य में लगा हुआ व्यक्ति बाकी जगहों से अपनी इन्द्रियों को किनारे कर लेता है।
उसके कान ऐसी बातों को नहीं सुनती, उसकी आंखे ऐसी बातों को नहीं देखती। वो केवल अपने लक्ष्य को देखती है। अर्जुन केवल मछली की आंख दिखाई दे रही थी उसी तरह उस व्यक्ति को केवल अपना लक्ष्य दिखाई देता है केवल अपना उद्देश्य दिखाई देता है और वही जीवन में आगे बढ़ रहा है। जो चीजें उसे विचलित करने वाली होती हैं उन चीजों को वो किनारे कर देता है और इस तरह से वो अपने मस्तिष्क को अपने मन को कंट्रोल कर लेता है।
अगर आपको मन पर कंट्रोल करना है तो आपको इन्द्रियों पर कंट्रोल करना होगा। अगर आप मन को इन्द्रियों से जोड़कर रखोगे। आप अच्छी फिल्में देखने की इच्छा रखोगे, आप वीडियोगेम खेलने की इच्छा रखोगे। अगर आप युवा हैं आप शराब और सेक्स की कोशिश करोगे, आनंद प्राप्ति करने की कोशिश करोगे तो जीवन में आप आगे नहीं बढ़ पाओगे। आपका जीवन में वहीं पर विकास रूक जाएगा और धीरे-धीरे आप पीछे आने लगोगे।
आपको ईश्वर ने जीवन दिया है आपको प्रभु ने मनुष्य तन दिया तो आपका उद्देश्य है कि आप अपना विकास करो, जीवन का भौतिक विकास तो करो ही करो इसके साथ-साथ आध्यात्मिक विकास करो और उस आध्यात्मिक विकास के लिए इन्द्रियों का उतना ही उपभोग करो जितना मन और विवेक के नियंत्रण में हो और वो तभी करो जब आप अपने कर्तव्य को कर चुके हो। सबसे पहला काम आपको अपने कर्तव्य को करने में होना चाहिए और जब इस तरह आपके कर्तव्य में आपकी बुद्धि लग जाएगी।
भगवान कृष्ण ने कहा है कि जो प्रोफेशनल लोग होते हैं उनकी बुद्धि केवल एक डायरेक्शन में काम करती है जो उसे काम मिला है उसी में लगी रहती है और जो नॉन प्रोफेशनल लोग होते हैं उनकी बहुत शाखाओं वाली बुद्धि होती है। कभी वे सोचेंगे कि मैं क्रिकेटर बन जाऊं कभी वो सोचेंगे कि मैं पॉलिटिशियन बन जाऊं, कभी सोचेंगे कि मैं एक्टर बन जाऊं और कभी कुछ न कुछ नए काम करते रहेंगे, अपने आनंद प्राप्ति के लिए। ऐसे व्यक्ति कहीं भी सफल नहीं हो सकते। न तो वो भौतिक जीवन में सफल होते हैं और ना आध्यात्मिक जीवन में सफल होते हैं ऐसे व्यक्तियों का पूरा जीवन निष्फल चला जाता है। इसलिए प्रोफेशनल बनो, अपनी बुद्धि को प्रोफेशनली यूज करो, अपनी बुद्धि को व्यावसायिक तरीके से इस्तेमाल करो। अपनी बुद्धि को इस तरह से यूज करो कि वो एक लक्ष्य के लिए दृढ़ हो प्रतिबद्ध हो और उसी दिशा में काम करती रहे।